हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) की क़ौम ने सैंकड़ों साल तक उनकी दावत को ठुकराया, और जब अल्लाह का अजाब आया, तो केवल ईमान लाने वाले ही बचाए गए। मगर जब उनके बेटे का नाम डूबने वालों में आया, तो नूह (अलैहिस्सलाम) ने अपने रब से दुआ की — और तब अल्लाह तआला ने उन्हें वह जवाब दिया जो हमारे लिए गहरी सीख रखता है।
सवाल: अल्लाह तआला ने किस नबी से ये फ़रमाया: “मुझसे वो मत पूछ जिसका तुझे इल्म नहीं, मैं तुझे नसीहत करता हूँ, वरना तू नादानों में से हो जाएगा”?
- A. नूह (अ.स.)
- B. मूसा (अ.स.)
- C. यूनुस (अ.स.)
- D. इब्राहीम (अ.स.)
सही जवाब है: ऑप्शन A , नूह (अ.स.)
तफ़सील (विवरण):
📖 दलील
۞ बिस्मिल्लाह-हिर-रहमान-निर-रहीम ۞
क़ुरआन:
“और नूह (अलैहिस्सलाम) ने अपने रब को पुकारा: ‘ऐ मेरे रब! मेरा बेटा मेरे घरवालों में से है और बेशक तेरा वादा सच्चा है, और तू सबसे बड़ा हाकिम है।’
(अल्लाह ने फ़रमाया): ‘ऐ नूह! वह तेरे घरवालों में से नहीं है, क्योंकि उसके आमाल नेक नहीं हैं। इसलिए मुझसे वो मत पूछ जिसका तुझे इल्म नहीं। मैं तुझे नसीहत करता हूँ, वरना तू नादानों में से हो जाएगा।’”
📖 सूरह हूद (11), आयत 45-46
🌸 सबक (सीख)
- अल्लाह के फ़ैसले हमेशा हिकमत (बुद्धिमानी) पर आधारित होते हैं, इंसान को उन पर सवाल नहीं उठाना चाहिए।
- रिश्तेदारी या नस्ल नहीं, बल्कि ईमान और नेक अमल ही असली पहचान है।
- अल्लाह अपने बंदों को नसीहत करता है ताकि वे गलती से बच सकें।



