इस्लाम में सलाम करना सिर्फ़ एक आदत या तहज़ीब नहीं, बल्कि एक इबादत और सवाब वाला अमल है। जब कोई मुसलमान दूसरे मुसलमान को सलाम करता है, तो वह प्यार, अमन और रहमत का पैग़ाम देता है। आइए जानते हैं कि अगर कोई मुसलमान “अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह” कहे, तो उसे कितनी नेकियाँ मिलती हैं।
सवाल: अगर कोई मुसलमान किसी दूसरे मुसलमान को “अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह” कहता है तो उसे कितनी नेकियाँ मिलती हैं?
- A. 30
- B. 70
- C. 10
- D. 20
सही जवाब है: ऑप्शन D , 20
तफ़सील (विवरण):
📖 दलील
۞ बिस्मिल्लाह-हिर-रहमान-निर-रहीम ۞
हदीस:
हज़रत इमरान बिन हुसैन (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि एक व्यक्ति ने रसूलुल्लाह ﷺ को सलाम किया —
- उसने कहा: “अस्सलामु अलैकुम” → आप ﷺ ने फ़रमाया: 10 नेकियाँ मिलीं।
- फिर दूसरे ने कहा: “अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह” → आप ﷺ ने फ़रमाया: 20 नेकियाँ मिलीं।
- फिर तीसरे ने कहा: “अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाहि वबरकातुहू” → आप ﷺ ने फ़रमाया: 30 नेकियाँ मिलीं।
📖 सुन्नन अबू दाऊद, जिल्द 3, हदीस 1752 (सहीह)
🌸 सबक (सीख)
- सलाम ईमान वालों की पहचान है।
- जितना मुकम्मल सलाम किया जाए, उतना ज़्यादा सवाब (पुण्य) मिलता है।
- सलाम से मोहब्बत, भाईचारा और अमन फैलता है।
- रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया — “अपने दरमियान सलाम को आम करो।”



