क़ुरान की हर सूरह की अपनी एक ख़ास अहमियत है, लेकिन एक ऐसी सूरह है जिसकी फ़ज़ीलत इतनी बड़ी है कि उसे एक बार पढ़ना पूरे क़ुरान का एक तिहाई (1/3) पढ़ने के बराबर है। क्या आप जानते हैं वो कौनसी सूरह है?
सवाल: वह कौनसी सूरह है जिसकी तिलावत 1/3 कुरान पढ़ने के बराबर है?
- A. सूरह अल-फ़ातिहा
- B. सूरह अल-फ़ातिहा
- C. सूरह अल-इखलास
सही जवाब है: ऑप्शन C , सूरह अल-इखलास
तफ़सील (विवरण):
हदीस 1: अबू दर्दा (रज़ी अल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: “क्या थक जाता है तुम में से कोई इस बात से कि हर रात एक तिहाई कुरान पढ़ ले?” सहाबा ने अर्ज़ किया कि ‘तीहाई कुरान (एक रात में) कैसे पढ़ सकते हैं?’ आप (ﷺ) ने फरमाया: “क़ुल हुवल्लाहु अहद (सूरह अल-इखलास) एक तिहाई कुरान के बराबर है।”
📚 सुनन अन-नसई 3533b
हदीस 2: अबू हुरैरा (र.अ.) से रिवायत है कि रसूलअल्लाह (ﷺ) हमारे पास आए और फरमाया: “मैं तुम्हारे सामने एक तिहाई कुरान पढ़ता हूं,” फिर आप (ﷺ) ने ‘क़ुल हुवल्लाहु अहद’ (सूरह इखलास) परही यहां तक कि इस सूरह को ख़त्म (पूरा) किया।”
📚 सहीह मुस्लिम, 1889
वज़ाहत (स्पष्टीकरण):
अहले इल्म की राय है कि सूरह इखलास की इतनी बड़ी फजीलत इसलिए है क्योंकि यह सूरह अल्लाह की तौहीद (एकता) और उसकी अज़मत को मुकम्मल तौर पर बयान करती है। यह कुरआन का एक तिहाई हिस्सा है क्योंकि यह दीन के तीन बुनियादी उसूलों (तौहीद, नुबूवत और आख़िरत) में से एक, यानी तौहीद की अज़मत को पूरी तरह बयान करती है।