इस्लामी इतिहास में कुछ ऐसे वाक़ये हैं जिनकी अहमियत बहुत ज़्यादा है, और इस्रा व मेराज उनमें से एक है। यह एक ऐसा अनोखा सफ़र था जो हमारे प्यारे नबी (ﷺ) ने एक ही रात में तय किया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस सफ़र में मुसलमानों के लिए सबसे बड़ा तोहफ़ा क्या था?
सवाल: इस्रा व मेराज का वाक़िआ मुसलमानों के लिए ख़ास है, क्योंकि इसी रात –
- A. हज की शुरुआत हुई
- B. पाँच वक़्त की नमाज़ फ़र्ज़ हुई
- C. पैगंबर ﷺ की पैदाइश हुई
- D. मदीना की हिजरत हुई
सही जवाब है: ऑप्शन B , पाँच वक़्त की नमाज़ फ़र्ज़ हुई
तफ़सील (विवरण):
सही जवाब है, इस्रा व मेराज की रात पाँच वक़्त की नमाज़ फ़र्ज़ हुई थी। इसी रात पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) को मक्का से बैतुल मुक़द्दस (येरुशलम) और फिर वहाँ से आसमानों की सैर कराई गई।
क़ुरान में इस वाक़ये का ज़िक्र है: “पाकी है उस ज़ात के लिए जो अपने बंदे को रात ही रात में मस्जिद-ए-हरम से मस्जिद-ए-अक़्सा तक ले गया” (क़ुरान, सूरह इस्रा 17:1)।
हदीस: यह भी बयान किया गया है कि अल्लाह तआला ने सबसे पहले 50 नमाज़ें फ़र्ज़ की थीं, लेकिन बाद में पैगंबर (ﷺ) की गुज़ारिश पर इसे घटाकर पाँच कर दिया गया। (सहीह बुखारी 349)