आजकल छोटी-सी बात भी पूरे समाज में बड़ी खबर बनकर फैल जाती है। यही अफ़वाहें अक्सर समाज में सबसे ज़्यादा फ़ितना और फ़साद की जड़ बनती हैं। सवाल यह है कि इस्लाम इस बारे में क्या कहता है?
सवाल: वो कौन-सी बात है जिसकी वजह से समाज में सबसे ज़्यादा फ़ितने और फ़साद होते हैं?
- A. क़ौमी भाईचारा
- B. अफ़वाह
- C. इंसाफ़
- D. सही जवाब का इंतज़ार
सही जवाब है: ऑप्शन B , अफ़वाह
तफ़सील (विवरण):
📖 दलील (कुरआन से प्रमाण)
अल्लाह तआला ने फ़रमाया:
“जब कोई फ़ासिक (अविश्वसनीय व्यक्ति) तुम्हारे पास कोई खबर लेकर आए, तो उसकी अच्छी तरह तहक़ीक़ कर लो कि वह सच है या झूठ।”
📕 सूरह अल-हुजुरात 49:6
📝 तफ़सीर और समझ
- छोटी-छोटी बातों को लोग अफ़वाह बनाकर समाज में फैला देते हैं।
- नतीजा यह होता है कि एक मामूली वाक़या बड़ी आग का रूप ले लेता है और फ़ितना-फ़साद खड़ा हो जाता है।
- यही काम शैतान के तरीक़ों में से एक है—अफ़वाह फैलाना।
🎓 एक मिसाल
मान लीजिए एक स्कूल की क्लास में 100–200 बच्चे हैं। अगर टीचर की टेबल के नीचे से सिर्फ़ एक छोटा-सा साँप का बच्चा निकल आए—
- पहले बेंच तक बात पहुँची: “एक छोटा साँप निकला।”
- बीच तक पहुँची: “एक बड़ा साँप निकला।”
- आख़िरी बेंच तक पहुँची: “एक अजदहा निकला जो टीचर को निगलने वाला था।”
- बाहर समाज तक पहुँची: “70 किलो वज़न का अजदहा निकला जिसके पेट से बकरी भी निकली।”
असलियत? बस एक छोटा-सा साँप का बच्चा! यही है अफ़वाह की तबाही।
📖 हदीस से सबक
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“अगर कोई शख़्स किसी पर इल्ज़ाम लगाए और वह इल्ज़ाम झूठा हो, तो क़यामत के दिन अल्लाह उसे आग के पिंजरे में डाल देगा, जब तक कि वह इल्ज़ाम साबित न कर दे।”
📕 मुसनदे अहमद
🌸 नसीहत
- बिना तहक़ीक़ किसी खबर को आगे न बढ़ाएँ।
- अफ़वाह फैलाना बदनामी, बेइज़्ज़ती और गुनाह का कारण है।
- अगर कोई खबर सही और तस्दीक़शुदा हो तो उसे मानने में हरज नहीं, लेकिन बिना तहक़ीक़ किसी फ़ासिक़ की बात पर भरोसा न करें।
✨ दुआ
या अल्लाह! हमें हर किस्म के शैतानी फ़ितनों से बचा, जब तक ज़िंदा रखें इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखें, और हमारा खात्मा ईमान पर फ़रमा।
آمين يا رب العالمين 🤲

