इस्लामी इतिहास में कुछ सहाबा ऐसे हैं जिनकी कुर्बानियाँ और मक़ाम अल्लाह तआला ने बहुत ऊँचा किया।
ऐसे ही एक सहाबी हैं हज़रत जाफ़र बिन अबी तालिब (रज़ियल्लाहु अन्हु) — जिनके बारे में ख़ुद रसूलअल्लाह ﷺ ने जन्नत में फरिश्तों के साथ उड़ते हुए देखा।
सवाल: वो कौन से सहाबी हैं जिनको रसूल-अल्लाह ﷺ ने जन्नत में फरिश्तों के साथ उड़ते हुए देखा?
- A. अबू बकर (रज़ि०)
- B. अली (रज़ि०)
- C. हुसैन (रज़ि०)
- D. जाफ़र (रज़ि०)
सही जवाब है: ऑप्शन D , जाफ़र (रज़ि०)
तफ़सील (विवरण):
📖 दलील (हदीस)
अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि रसूलअल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“मैंने जाफ़र (रज़ियल्लाहु अन्हु) को जन्नत में फरिश्तों के साथ उड़ते हुए देखा।”
📕 जामिउ तिर्मिज़ी, जिल्द 2, हदीस 1697 — हसन
🌿 अतिरिक्त बयान
अश-शु’बी (रहिमहुल्लाह) से रिवायत है कि जब अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु),
हज़रत जाफ़र (रज़ि०) को सलाम करते तो कहते:
“अस्सलामु अलैका या इब्न ज़ुल-जनाḥैन”
(ऐ दो पंखों वाले बुज़ुर्ग के साहबज़ादे, तुम पर सलाम हो)।
📕 सहीह बुख़ारी, जिल्द 5, हदीस 3709
🕊️ जाफ़र अल-तय्य्यार का मक़ाम
उलमा ने बयान किया है कि ग़ज़वा-ए-मूता में जाफ़र रज़ियल्लाहु अन्हु इस्लाम के लिए लड़ते हुए
अपने दोनों बाज़ू गँवा बैठे, और शहीद कर दिए गए।
अल्लाह तआला ने उन्हें उनके बदले दो पंख (पर) अता किए, जिनसे वे जन्नत में उड़ते हैं।
इसी वजह से उन्हें “जाफ़र अल-तय्य्यार” (उड़ने वाले जाफ़र) कहा जाता है।
🌺 सीख
- अल्लाह की राह में की गई कुर्बानी कभी ज़ाया नहीं जाती।
- जो लोग अपनी जान और माल अल्लाह के लिए देते हैं, उन्हें हमेशा की ज़िंदगी और ऊँचा दरजा नसीब होता है।
- जाफ़र रज़ियल्लाहु अन्हु का मक़ाम इस्लाम की कुर्बानी और इमान की बुलंदी की निशानी है।



