वो कौनसे नबी की क़ौम के लोग थे जिनको अल्लाह सुब्हानहु ने अज़ाब नाज़िल करके मौत दे दी और फिर से इनको ज़िंदा कर दिया?

क्या आपने कभी सोचा है कि मौत के बाद ज़िंदगी का मज़ाक उड़ाने वालों को अल्लाह ने कैसे जवाब दिया? क़ुरान में एक ऐसा वाक़या दर्ज है जब एक क़ौम को अज़ाब से मौत दी गई और फिर अल्लाह ने उन्हें दोबारा ज़िंदा कर दिया!

सवाल: वो कौनसे नबी की क़ौम के लोग थे जिनको अल्लाह सुब्हानहु ने अज़ाब नाज़िल करके मौत दे दी और फिर से इनको ज़िंदा कर दिया?

  • A. इदरीस अलैहिस्सलाम
  • B. ईसा अलैहिस्सलाम
  • C. यूनुस अलैहिस्सलाम
  • D. मूसा अलैहिस्सलाम

सही जवाब है: ऑप्शन D , मूसा अलैहिस्सलाम

तफ़सील (विवरण):

📖 दलील: क़ुरान की रोशनी में

۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞

अल्लाह तआला क़ुरान में फरमाता है:

“और जब तुमने कहा कि ऐ मूसा जब तक हम अल्लाह को सामने न देख लेंगे तुम पर ईमान नहीं लाएंगे तो तुमको बिजली ने आ घेरा तुम देख रहे थे फिर मौत आ जाने के बाद तुमको फिर से ज़िंदा कर दिया ताकि एहसान मानो।”

📕 सूरह अल बक़रा 2:55-56

यह वाक़या बनी इस्राईल के उस गिरोह से मुताल्लिक़ है, जिन्हें हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने तूर पहाड़ पर अल्लाह से बातचीत (मुनाजात) के लिए चुना था। जब उन्होंने अल्लाह को खुल्लम खुल्ला देखने की ज़िद की, तो उन्हें एक सख्त कड़क (बिजली) के अज़ाब से मौत दे दी गई। लेकिन, हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की दुआ पर, अल्लाह सुब्हानहु व तआला ने उन सभी को फिर से ज़िंदा कर दिया। यह इसलिए किया गया ताकि वे लोग अल्लाह के अहसान को मानें और जान लें कि क़यामत के दिन ज़िंदा होना एक हक़ीक़त है।

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