वो क्या है जो इंसानों के दिल से इस तरह निकल जाता है जैसे कोई ऊँट भाग जाता है?

हमारे दिल एक बहुत ही नाजुक और याद रखने-भूलने वाले अंग हैं। जिस तरह एक बहुमूल्य चीज को सहेजकर न रखा जाए तो वह खो सकती है, उसी तरह हमारी सबसे बड़ी धरोहर भी अगर उसकी हिफाजत न की जाए तो हमसे छिन सकती है। पैगंबर मुहम्मद ﷺ ने एक बहुत ही सटीक उदाहरण देकर समझाया कि हमारी सबसे कीमती चीज कितनी जल्दी हमसे दूर हो सकती है।

सवाल: वो क्या है जो इंसानों के दिल से इस तरह निकल जाता है जैसे कोई ऊँट भाग जाता है?

  • A. मौत का खौफ
  • B. काफिर के दिल से ईमान
  • C. कुरआन – अगर न पढ़े तो
  • D. बिदअती के पास सुन्नत तरीका

सही जवाब है: ऑप्शन C , कुरआन – अगर न पढ़े तो

तफ़सील (विवरण):

दलील:

इस गहरी सीख का वर्णन दो सहीह हदीसों में मिलता है:

पहली हदीस:
हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि रसूलअल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“किसी का कहना कि ‘मैं फलानी आयत भूल गया’ बुरा है, बल्कि कहना चाहिए ‘मुझे आयत भुला दी गई’। कुरआन को पढ़ते रहो, क्योंकि वो दिल से ऊँट के भागने से भी तेज निकल जाता है।”
📖 सहीह बुखारी, जिल्द 6, हदीस 5032

दूसरी हदीस (तुलना):
हज़रत इब्न उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) से एक और हदीस है जो इसी बात को और स्पष्ट करती है। रसूलअल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“हाफिज़-ए-कुरआन उस ऊँट के मालिक की तरह है जो उसे रस्सी से बांधता है। अगर वह निगरानी करे तो ऊँट बंधा रहेगा, अगर ग़ाफिल हो गया तो ऊँट रस्सी तोड़कर भाग जाएगा।”
📖 सहीह बुखारी, जिल्द 6, हदीस 5031

संक्षेप में समझें:

  • कीमती चीज़: कुरआन की याद (हिफ़्ज़) या उसकी तिलावत।
  • तुलना: कुरआन की याद को एक बंधे हुए ऊँट से तुलना की गई है, जो बहुत ताकतवर और बेचैन होता है।
  • खतरा: अगर हाफिज या पाठक लापरवाही बरतता है और कुरआन की नियमित पढ़ाई और दोहराव (मुराकबा) छोड़ देता है, तो यह याद ऊँट के रस्सी तोड़कर भागने से भी तेजी से दिल से निकल जाती है।
  • सीख: यह हदीस हमें सिखाती है कि कुरआन एक अमानत है। इसे सिर्फ याद कर लेना काफी नहीं है, बल्कि इसे बरकरार रखने के लिए लगातार मेहनत और अभ्यास ज़रूरी है। नियमित तिलावत ही वह रस्सी है जो कुरआन को हमारे दिलों में बाँधे रखती है।

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