नमाज़ इस्लाम की सबसे ज़रूरी इबादत है, और इसमें क़ुरान की एक ख़ास सूरह पढ़ने का हुक्म है। इस सूरह के बिना नमाज़ मुकम्मल नहीं होती। क्या आप जानते हैं सूरह फ़ातिहा का नमाज़ में पढ़ना कितना जरुरी होता है?
सवाल: सूरह फ़ातिहा की नमाज़ में क्या अहमियत है?
- A. पढ़ना ज़रूरी नहीं
- B. सिर्फ़ ईद की नमाज़ में पढ़ी जाए
- C. हर रकात में पढ़ी जाए
- D. सिर्फ जुमा में पढ़ी जाए
सही जवाब है: ऑप्शन C , हर रकात में पढ़ी जाए
तफ़सील (विवरण):
सही जवाब यह है कि सूरह फ़ातिहा हर नमाज़ की हर रकात में पढ़ना ज़रूरी है। यह नमाज़ को सही मानने के लिए एक शर्त है।
हदीस: पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) ने फ़रमाया, “उस शख्स की नमाज़ नहीं होती जो सूरह फ़ातिहा नहीं पढ़ता।” (सहीह बुखारी, 714)
यह हदीस साफ़ तौर पर बताती है कि सूरह फ़ातिहा के बिना नमाज़ पूरी नहीं होती।