किसी मुसलमान से जुदा होते वक्त क्या कहना चाहिए?

इस्लाम में मिलने और जुदा होने दोनों के मौके पर सलाम कहना सुन्नत है। यह सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि एक खूबसूरत दुआ है जिसमें अमन, रहमत और बरकत की दुआ छिपी होती है। आइए जानते हैं कि जुदाई के वक्त क्या कहना चाहिए।

सवाल: किसी मुसलमान से जुदा होते वक्त क्या कहना चाहिए?

  • A. अल्लाह हाफ़िज़
  • B. अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातहु
  • C. फ़ी अमानिल्लाह
  • D. दुआ में याद रखना

सही जवाब है: ऑप्शन B , अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातहु

तफ़सील (विवरण):

📖 दलील

۞ बिस्मिल्लाह-हिर-रहमान-निर-रहीम ۞

हदीस:
अबू हुरैरा (रज़ि.) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:

“जब तुम में से कोई व्यक्ति किसी मजलिस (बैठक) में आए तो सलाम करे, और जब वहां से उठे (जाए) तो भी सलाम करे।”

📕 सुनन अबू दाऊद, जिल्द 3, हदीस 1765 (सहीह)
📕 जामे तिर्मिज़ी, जिल्द 2, हदीस 602 (हसन)


🌸 सीख

  • सलाम इस्लाम की पहचान और भाईचारे की निशानी है।
  • जुदाई के वक्त सलाम कहना दुआ है कि “अल्लाह तुम्हें अपनी रहमत और सलामती में रखे।”
  • “अल्लाह हाफ़िज़” कहना बुरा नहीं, लेकिन सुन्नत तरीका “अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातहु” है।

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