कुरान-ए-पाक में इंसान के नफ़्स के तीन दर्ज़े बताए गए हैं — नफ़्स-ए-अम्मारह, नफ़्स-ए-लव्वामा और नफ़्स-ए-मुतमइन्ना।
इनमें से नफ़्स-ए-अम्मारह वह है जो इंसान को बुराई और गुनाह की तरफ़ उकसाता है। आइए जानते हैं कुरान इसका ज़िक्र कैसे करता है।
सवाल: कुरान के हिसाब से “अम्मारह (أَمَّارَةٌ)” क्या है?
- A. जन्नत की हूर
- B. दोज़ख़ की आग
- C. नफ़्स
- D. क़यामत
सही जवाब है: ऑप्शन C , नफ़्स
तफ़सील (विवरण):
📖 दलील :
۞ बिस्मिल्लाह-हिर-रहमान-निर-रहीम ۞
“और मैं अपने नफ़्स को पाक-साफ़ नहीं कहता, क्योंकि नफ़्स-ए-अम्मारह (इंसान को) बुराई सिखाता रहता है, मगर मेरा रब रहम करे।
बेशक मेरा रब बख़्शने वाला, मेहरबान है।”
📕 सूरह यूसुफ़ (12): आयत 53
💡 सीख
कुरान हमें यह सिखाता है कि इंसान का नफ़्स अगर काबू में न रखा जाए तो वह उसे गुनाह और ग़लत रास्ते की तरफ़ ले जाता है।
इसलिए मोमिन को चाहिए कि वह अल्लाह की याद, इबादत और तौबा के ज़रिये अपने नफ़्स को काबू में रखे।



