क़ुरान करीम में अल्लाह तआला ने अपनी क़ुदरत और हिकमत को बयान करने के लिए कई जगहों पर क़सम खाई है।
कुछ क़समें उन फरिश्तों की भी हैं जो अल्लाह के हुक्म से इंसानों की रूह निकालते हैं — यानी मौत के वक़्त का वो लम्हा जब दुनिया और आख़िरत के बीच का पर्दा उठ जाता है।
सवाल: क़ुरान करीम की वह कौन सी सूरह है जिसकी पहली आयत में अल्लाह सुब्हानहु ने उन फरिश्तों की क़सम खाई है जो रूह निकालते हैं?
- A. सूरह अल-बुरूज
- B. सूरह अल-मुर्सलात
- C. सूरह अस-साफ़्फ़ात
- D. सूरह अन-नाज़िआत
सही जवाब है: ऑप्शन D , सूरह अन-नाज़िआत
तफ़सील (विवरण):
📖 दलील
۞ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम ۞
क़ुरान:
“उन (फरिश्तों) की क़सम जो डुबोकर (रूह) खींच लेते हैं,
और उनकी जो आसानी से खोल देते हैं,
और उनकी जो तैरते फिरते हैं,
और उनकी जो फिर झपट कर आगे बढ़ते हैं,
और उनकी जो (दुनिया के) कामों का इंतज़ार करते हैं (क़यामत के दिन तक)।”
📖 सूरह अन-नाज़िआत (79): आयत 1–6
🌿 तफ़सीर और सीख
- सूरह अन-नाज़िआत में अल्लाह तआला ने मौत और क़यामत के नज़ारों को बयान किया है।
- फरिश्तों का काम सिर्फ़ रूह निकालना ही नहीं, बल्कि अल्लाह के हुक्म से हर इंसान का हिसाब-किताब तय करना भी है।
- ये आयत हमें याद दिलाती है कि मौत कोई अचानक आने वाली चीज़ नहीं, बल्कि यह भी अल्लाह की बनाई हुई एक क़ुदरती प्रक्रिया है।

