इस्लाम में दौलत और माल को सही तरीक़े से इस्तेमाल करने पर बहुत ज़ोर दिया गया है। अल्लाह ने अपने बंदों को फ़िज़ूलख़र्ची से मना किया है, क्योंकि यह एक बुरी आदत है जो इंसान को अल्लाह से दूर करती है। आइए जानते हैं कि क़ुरान इस बारे में क्या कहता है।
सवाल: फ़िज़ूलख़र्ची करने वालों को अल्लाह ने क़ुरान में क्या कहा है?
- A. शैतान का भाई
- B. मोमिनों का दुश्मन
- C. कंजूसों का सरदार
- D. इंशाअल्लाह इल्म हासिल करेंगे
सही जवाब है: ऑप्शन A , शैतान का भाई
तफ़सील (विवरण):
सही जवाब की दलील सीधे तौर पर क़ुरान में मौजूद है, जहाँ अल्लाह ने फ़िज़ूलख़र्ची करने वालों को शैतान का भाई कहा है।
क़ुरान: बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞
अल्लाह तआला क़ुरान-ए-करीम में फ़रमाता है:
“और रिश्तेदारों और मोहताजों और मुसाफ़िरों को उनका हक़ अदा करो और फ़िज़ूलख़र्ची से माल ना उड़ाओ। कि फ़िज़ूलख़र्ची करने वाले तो शैतान के भाई हैं और शैतान अपने परवरदिगार की नेअमतों का नाशुक्री करने वाला है।”
यह आयत हमें सिखाती है कि हमें अपने माल को सही कामों में ख़र्च करना चाहिए और फ़िज़ूलख़र्ची से बचना चाहिए।