किस मुसलमान के तमाम गुनाह माफ कर दिए जाते हैं सिवाय कर्ज़ के?

इस्लाम में अल्लाह की राह में अपनी जान कुर्बान करने वाले शहीद का मुकाम बहुत ऊँचा है। शहादत एक ऐसी इबादत है जिसके बदले में अल्लाह बेशुमार इनाम देता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इतनी बड़ी कुर्बानी और इतने बड़े इनाम के बावजूद एक चीज ऐसी है जो शहीद के लिए भी माफ नहीं होती? पैगंबर मुहम्मद ﷺ ने एक हदीस में इसकी साफ चेतावनी दी है।

सवाल: किस मुसलमान के तमाम गुनाह माफ कर दिए जाते हैं सिवाय कर्ज़ के?

  • A. नेक शौहर और नेक बीवी
  • B. वालिदैन का फरमाबरदार
  • C. कसरत से नफिल रोज़े रखने वाला
  • D. शहीद

सही जवाब है: ऑप्शन D , शहीद

तफ़सील (विवरण):

दलील:

इस महत्वपूर्ण बात का वर्णन हज़रत अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन आस (रज़ियल्लाहु अन्हुमा) से रिवायत एक सहीह हदीस में मिलता है। रसूलअल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“शहीद का हर गुनाह माफ़ कर दिया जाता है, सिवाय कर्ज़ के।”
📖 सहीह मुस्लिम, हदीस 4883

संक्षेप में समझें:

  • शहीद का रुतबा: शहादत का दर्जा बहुत ऊँचा है। शहीद को उसकी कुर्बानी के एवज में बड़े से बड़े गुनाहों से माफी मिल जाती है।
  • अपवाद: लेकिन इन सबके बीच एक चीज ऐसी है जो माफ नहीं होती – वह है किसी इंसान का अधूरा हक़ यानी कर्ज़
  • कर्ज़ क्यों नहीं माफ होता? इसकी वजह यह है कि शहीद का कर्ज़ अब किसी और इंसान का हक़ बन जाता है। चूंकि शहीद स्वर्ग चला गया है, इसलिए उसकी तरफ से उस कर्ज को चुकाने की जिम्मेदारी उसके वारिसों या मुस्लिम समाज पर आ जाती है, ताकि उस इंसान का हक़ अधूरा न रह जाए।
  • सीख: यह हदीस हमें दो बहुत बड़ी सीख देती है:
    1. इंसान के हक़ (खासकर कर्ज़) को बेहद गंभीरता से लेना चाहिए और उसे जल्द से जल्द अदा करने की कोशिश करनी चाहिए।
    2. अगर कोई व्यक्ति अल्लाह की राह में जिहाद करने जा रहा है या किसी खतरे का सामना कर सकता है, तो उसे अपने कर्ज़ और दूसरों के हक़ पूरे करके जाना चाहिए।

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