इनमें से वो क्या है जिसे अल्लाह सुब्हानहु सबसे ज़्यादा मतवज्जा होकर सुनते हैं?

क्या आपने कभी सोचा है कि अल्लाह तआला अपनी मख़लूक़ (बंदों) की कौन-सी बात को सबसे ज़्यादा ध्यान से सुनते हैं?
हर इंसान की दुआ, इबादत और ज़िक्र की अपनी अहमियत है, लेकिन एक ऐसी चीज़ है जिसे अल्लाह ख़ास तौर पर मतवज्जा होकर सुनते हैं। आइए जानते हैं वह क्या है—

सवाल: इनमें से वो क्या है जिसे अल्लाह सुब्हानहु सबसे ज़्यादा मतवज्जा होकर सुनते हैं?

  • A. मुसलमान का तहज्जुद में दुआ करना
  • B. मज़लूम की बददुआ
  • C. नबी ﷺ का कुरआन पढ़ना
  • D. सही जवाब का इंतज़ार है

सही जवाब है: ऑप्शन C , नबी ﷺ का कुरआन पढ़ना

तफ़सील (विवरण):

📖 दलील (हदीस)

हज़रत अबू हुरैरा (रज़ि.अ) से रिवायत है कि:
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया —

“अल्लाह सुब्हानहु किसी बात को इतनी मतवज्जा होकर नहीं सुनते,
जितना वो नबी ﷺ का कुरआन की तिलावत को ध्यान से सुनते हैं,
जब नबी ﷺ उसे ख़ुश-आवाज़ (सुरमय लहजे) में पढ़ते हैं।”

📕 सहीह अल-बुख़ारी, जिल्द 8, हदीस 7482


🌷 सीख

  • कुरआन की तिलावत सिर्फ़ ज़ुबान से नहीं, बल्कि दिल से करनी चाहिए।
  • नबी ﷺ की तिलावत पर अगर अल्लाह खुद मतवज्जा होते हैं, तो हमें भी कुरआन को प्यार, एहतराम और सुरीली आवाज़ में पढ़ना चाहिए।
  • अल्लाह की रहमत और क़ुरबत (निकटता) पाने का यह एक सबसे प्यारा ज़रिया है।

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