हदीस के मुताबिक ज़रूरत पड़ने पर इंसान को खाना और पानी कितना पेट भर खाना और पीना चाहिए?

इस्लाम एक संतुलित और सेहतमंद जीवनशैली का मार्गदर्शक है। यह न सिर्फ रूहानी बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य का भी पूरा ख्याल रखता है। आज के दौर में जब लोग ज़्यादा खाने और गलत खानपान से बीमार पड़ रहे हैं, पैगंबर मुहम्मद ﷺ का दिया हुआ एक सुनहरा नियम हमारी सेहत के लिए एक कारगर दवा है। यह नियम बताता है कि हमें अपना पेट कितना भरकर खाना चाहिए।

सवाल: हदीस के मुताबिक ज़रूरत पड़ने पर इंसान को खाना और पानी कितना पेट भर खाना और पीना चाहिए?

  • A. 1/2 (आधा)
  • B. 1/3 (एक तिहाई)
  • C. 1/4 (एक चौथाई)
  • D. 3/4 (तीन चौथाई)

सही जवाब है: ऑप्शन B , 1/3 (एक तिहाई)

तफ़सील (विवरण):

दलील:

इस स्वास्थ्य नियम का स्पष्ट वर्णन हज़रत मिकदाम बिन मादी करब (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत एक सहीह हदीस में मिलता है। रसूलअल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“इंसान से बुरा कोई बर्तन (पेट) नहीं है। कुछ निवाले उसकी कमर सीधी रखने को काफी हैं। अगर नफ़स ज़्यादा खाने को मजबूर करे तो एक तिहाई खाने के लिए, एक तिहाई पानी के लिए और एक तिहाई हवा (साँस) के लिए रखे।”
📖 सुनन इब्न माजा, जिल्द 3, हदीस 230 (सहीह)

संक्षेप में समझें:

  • पेट एक बर्तन है: हदीस में पेट को एक बर्तन कहा गया है, जिसे सही तरीके से न भरा जाए तो वह नुकसानदेह हो जाता है।
  • मूल नियम: आदर्श स्थिति में तो बहुत कम (कुछ निवाले) ही शरीर को चलाने के लिए काफी हैं।
  • व्यावहारिक नियम: लेकिन अगर भूख लगे और खाने का मन करे, तो इसका यह सुनहरा नियम है:
    • 1/3 हिस्सा ठोस खाने के लिए।
    • 1/3 हिस्सा तरल पानी/पेय के लिए।
    • 1/3 हिस्सा खाली रखें, ताकि साँस लेने (हवा) के लिए जगह बनी रहे।

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