शादी (निकाह) करना एक अज़ीम इबादत और सुन्नत है, जो इंसान को बहुत-सी बुराइयों से बचाती है। लेकिन क्या हो अगर कोई निकाह करने की माली ताक़त न रखता हो? हमारे प्यारे नबी करीम ﷺ ने इस सूरत में नौजवानों के लिए एक आसान और पुर-असर हल पेश किया है, जिससे वह पाकदामनी बनाए रख सकता है।
सवाल: जो निकाह की ताक़त न रखता हो उसको क्या करना चाहिए?
- A. ज़्यादा सोए
- B. रोज़े रखे
- C. ज़्यादा खाए पिए
- D. ज़्यादा सदक़ा करे
सही जवाब है: ऑप्शन B , रोज़े रखे
तफ़सील (विवरण):
📜 दलील:
नबी करीम ﷺ ने इस मसले का हल रोज़े रखने में बताया है, क्योंकि रोज़े इंसान की ख़्वाहिशात-ए-नफ़सानी को कमज़ोर कर देते हैं और उसे पाकदामन रहने में मदद करते हैं।
۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞
हदीस: अब्दुल्लाह इब्न मसऊद (र.अ) से रिवायत है,
रसूल अल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –
“ऐ नौजवानों की जमात! तुम में जिसे भी निकाह करनें की (माली) ताक़त हो उसे निकाह कर लेना चाहिए क्योंकि ये नज़र को नीची रखने वाला और शर्मगाह की हिफ़ाज़त करने वाला अमल है और जो निकाह की ताक़त न रखता हो उसे चाहिए कि रोज़ा रखे क्योंकि रोज़ा उसकी ख़्वाहिशाते-नफ़सानी को तोड़ देगा।”
📕 सहीह बुखारी, वॉल 6, 5066



