इनमें से किन लोगों को जहन्नम के सबसे निचले गड्ढे में अज़ाब दिया जाएगा?

Jahannum ka sakht azab kisko

इस्लाम में ईमान और अक़ीदे की बहुत अहमियत है। कुरआन और हदीस में अल्लाह ने अलग-अलग तरह के गुनाहों और उनकी सज़ाओं के बारे में बताया है। कुछ ऐसे गुनाह हैं जो अल्लाह के नज़दीक इतने संगीन हैं कि उनकी सज़ा सबसे सख़्त होगी। क्या आप जानते हैं कि जहन्नम के सबसे निचले गड्ढे में किन लोगों को अज़ाब दिया जाएगा?

सवाल: इनमें से किन लोगों को जहन्नम के सबसे निचले गड्ढे में अज़ाब दिया जाएगा?

  • A. मुशरिक
  • B. काफ़िर
  • C. मुनाफ़िक़
  • D. इंशा अल्लाह इल्म हासिल करेंगे

सही जवाब है: ऑप्शन C , मुनाफ़िक़

तफ़सील (विवरण):

मुनाफ़िक़ों को उनके संगीन जुर्म की वजह से अल्लाह ने जहन्नम की सबसे गहराई में अज़ाब रखा है। इस बारे में अल्लाह तआला क़ुरान में फ़रमाता है:

“मुनफ़िक़ वह हैं जो जहन्नम के सबसे निचले गड्ढे में रहने वाले हैं।”

📖 क़ुरान, सूरह निसा 4:145

यह बात हम सब जानते हैं कि जन्नतियों का मक़ाम बुलंदियों पर है, उसी तरह गुनाहगारों के अज़ाब की सख़्तियाँ जहन्नम की गहराइयों में हैं। लिहाज़ा, जो जितना ज़्यादा गुनाहगार होगा, उसके अज़ाब की शिद्दत भी उतनी ही सख़्त होगी।


मुनाफ़क़त क्या है और उन्हें इतनी सख़्त सज़ा क्यों?

अल्लाह के नज़दीक शिर्क और कुफ्र से भी ज़्यादा संगीन जुर्म निफ़ाक़ (मुनाफ़क़त) है। यानी, कोई शख़्स जो अंदर से काफ़िर या मुशरिक है, या दिल में इस्लाम और मुसलमानों से बुग़्ज़ (नफ़रत) रखता हो, लेकिन लोगों को दिखाने के लिए ईमान का दावा करता है ताकि मुसलमानों की सफ़ों में दाख़िल होकर उनमें इंतिशार (फूट) फैला सके। ऐसे शख़्स को मुनाफ़िक़ कहा जाता है, जो अल्लाह के नज़दीक सबसे बड़ा गुनाहगार है।


मुनाफ़िक़ की सिफ़ात (विशेषताएँ):

मुनाफ़िक़ की सिफ़त बयान करते हुए अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया:

हदीस: “चार आदतें ऐसी हैं कि, जिनके अंदर भी वो होंगी वह मुनाफ़िक़ होगा। उन चार में से अगर कोई एक पाई जाएगी तो उसके अंदर निफ़ाक़ की एक आदत होगी। यहाँ तक कि उसे छोड़ दे।”

  1. जब बोले तो झूठ बोले
  2. वादा करे तो पूरा न करे
  3. लड़े-झगड़े तो गाली बके
  4. मुआहिदा (Deal) करे तो धोखा दे

📖 सहीह बुखारी, हदीस नं. 2459

बहरहाल! हम सबको ग़ौर करना चाहिए कि ये सारी सिफ़तें कहीं हम में तो नहीं? कहीं हम नाम के ही मुसलमान और सिफ़त के मुनाफ़िक़ तो नहीं? तो हमें चाहिए कि इन तमाम मामलों में एहतियात करें।


दुआ

अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त से दुआ है कि अल्लाह हमें कहने-सुनने से ज़्यादा अमल की तौफ़ीक़ दे। हमें निफ़ाक़ की तमाम ख़स्लतों से बचाए रखे। जब तक हमें ज़िंदा रखे, इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे। ख़ातमा हमारा ईमान पर हो। आमीन।

व आख़िरु द’वाना अनिलहम्दुलिल्लाहे रब्बिल आलमीन

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