कौनसे अमल के लिए यह फरमाया कि जब तक तुम वो नहीं करोगे नेकी में कमाल हासिल नहीं कर सकते?

ईमान और नेकी एक ऐसा सफर है जिसमें इंसान लगातार अपने आप को बेहतर बनाने की कोशिश करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा भी अमल है जिसे किए बिना ईमानदार व्यक्ति भी नेकी के मुकाम पर पूरी तरह नहीं पहुँच सकता? यह कोई रोज़ा या नमाज़ नहीं, बल्कि दिल से जुड़ी एक कसौटी है, जो बताती है कि आपकी मुहब्बत असल में किसके लिए है।

सवाल: कौनसे अमल के लिए यह फरमाया कि जब तक तुम वो नहीं करोगे नेकी में कमाल हासिल नहीं कर सकते?

  • A. अपनी प्यारी चीज़ में से खर्च करना
  • B. लोग सोए हों तब नमाज़ पढ़ना
  • C. अल्लाह का ज़िक्र करना
  • D. सही जवाब का इंतज़ार

सही जवाब है: ऑप्शन A , अपनी प्यारी चीज़ में से खर्च करना

तफ़सील (विवरण):

दलील:

इस महत्वपूर्ण सिद्धांत को अल्लाह तआला ने खुद कुरआन-ए-पाक में सूरह आले-इमरान की एक आयत में स्पष्ट कर दिया है:

“(ऐ ईमान वालो) तुम नेकी में उस वक्त तक कमाल हासिल नहीं कर सकते जब तक कि अपनी प्यारी चीज़ में से (अल्लाह की राह में) खर्च न करो, और जो चीज़ तुम खर्च करोगे अल्लाह उसको जानता है।”
📕 सूरह आले-इमरान (3:92)

संक्षेप में समझें:

  • कसौटी: अपनी प्यारी चीज़ में से खर्च करना। यह सिर्फ पैसा ही नहीं, बल्कि वो हर चीज़ है जिससे इंसान को दिली लगाव हो – चाहे वह समय हो, सुविधा हो, कोई कीमती सामान हो या कोई पसंदीदा जगह।
  • मकसद: इस खर्च का मकसद केवल और केवल अल्लाह की रज़ा होना चाहिए।
  • पूर्णता का रास्ता: आयत साफ़ कहती है कि जब तक इंसान इस मुश्किल परीक्षा से नहीं गुजरता, तब तक वह नेकी के सर्वोच्च स्तर (कमाल) तक नहीं पहुँच सकता। यह ईमान की पूर्णता के लिए एक अनिवार्य शर्त है।
  • अल्लाह की जानकारी: आखिर में यह यकीन दिलाया गया है कि तुम जो कुछ भी छुपाकर या खुलकर खर्च करोगे, अल्लाह उससे पूरी तरह वाकिफ है और उसका पूरा बदला देगा।

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