इस्लामी हदीस

वो कौन सी दो नमाज़ें हैं जो मुनाफ़िक़ों पर ज़्यादा भारी हैं?

इस्लाम में नमाज़ ईमान की पहचान और बंदे के अल्लाह से सीधे रिश्ता रखने का ज़रिया है। लेकिन कुछ नमाज़ें ऐसी हैं जो मुनाफ़िक़ों (दिखावे […]

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अल्लाह सुब्हानहु क़यामत के दिन इनमें से किसका चेहरा जहन्नम से महफ़ूज़ रखेगा?

इस्लाम में इंसान की इज़्ज़त और हिफ़ाज़त को बहुत अहमियत दी गई है। अक्सर लोग यह भूल जाते हैं कि किसी की गैर-मौजूदगी में उसकी इज़्ज़त की

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वो कौन-सा अमल है जो दर्जे में नमाज़, रोज़े और ज़कात से भी बढ़कर है?

कभी सोचा है कि इस्लाम में ऐसा कौन-सा नेक अमल है जो नमाज़, रोज़ा और ज़कात जैसे अज़ीम इबादतों से भी ऊँचा दर्जा रखता है? रसूलअल्लाह

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रसूलुल्लाह ﷺ ने किस जगह के लिए फरमाया: “वहाँ ज़लज़ले और फ़ितने होंगे और शैतान का सिंग वहीं से तूलू होगा”?

नबी-ए-पाक ﷺ की कई हदीसों में आने वाले फितनों (परेशानियों) और भूकम्पों का ज़िक्र मिलता है। एक हदीस में आपने ﷺ ने एक ख़ास जगह के बारे में फरमाया

रसूलुल्लाह ﷺ ने किस जगह के लिए फरमाया: “वहाँ ज़लज़ले और फ़ितने होंगे और शैतान का सिंग वहीं से तूलू होगा”? जवाब देखे »