वो कौनसी दो चमकती हुई सूरहें हैं जो कयामत के दिन उसके पढ़ने वालों के साथ इस तरह आएँगी जैसे दो बादल या दो साये हों?

कुरआन न सिर्फ हमारी दुनिया की जीवन-रेखा है, बल्कि आखिरत में भी यह हमारा सबसे बड़ा सहारा और सिफारिशी बनेगा। पैगंबर मुहम्मद ﷺ ने कुछ सूरहों के पढ़ने को विशेष फ़ज़ीलत बताया है, जो कयामत के डरावने और भयानक माहौल में अपने पाठक के लिए ढाल और सुकून बनकर आएँगी। इनमें से दो सूरहों का वर्णन तो बहुत ही खास तरीके से किया गया है।

सवाल: वो कौनसी दो चमकती हुई सूरहें हैं जो कयामत के दिन उसके पढ़ने वालों के साथ इस तरह आएँगी जैसे दो बादल या दो साये हों?

  • A. सूरह बक़रह, सूरह आले-इमरान
  • B. सूरह फातिहा, सूरह बक़रह
  • C. सूरह यासीन, सूरह मुल्क
  • D. सूरह अल-फ़लक, सूरह अन-नास

सही जवाब है: ऑप्शन A , सूरह बक़रह, सूरह आले-इमरान

तफ़सील (विवरण):

दलील:

इस विशेष फ़ज़ीलत का वर्णन हज़रत अबू उमामा बहली (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत एक सहीह हदीस में मिलता है। रसूलअल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“कुरआन पढ़ा करो क्योंकि यह कयामत के दिन अपने पढ़ने वालों के लिए सिफारिशी बनकर आएगा, और दो चमकती सूरहें पढ़ा करो, एक सूरह बक़रा और दूसरी सूरह आले-इमरान। क्योंकि वे कयामत के मैदान में इस तरह आएँगी जैसे कि दो बादल हैं, या दो सायेबाँ, या दो टुकड़ियाँ हैं उड़ते हुए जानवरों की और अपने लोगों की तरफ से हुज्जत करती हुई आएँगी। (यानी उसके पढ़ने वालों के लिए सिफारिश करेंगी)। सूरह बक़रा को पढ़ा करो क्योंकि इसका पढ़ना बरकत है और इसका छोड़ देना हसरत है और जादूगर लोग इसका मुकाबला नहीं कर सकते।”
📕 सहीह मुस्लिम, जिल्द 2, हदीस 1874

संक्षेप में:

  • सूरहें: सूरह अल-बक़रह और सूरह आले-इमरान
  • कयामत में रूप: ये दोनों सूरहें अपने नियमित पाठक के लिए दो चमकते बादल, दो साये या परिंदों के दो झुंड की तरह होकर आएँगी।
  • काम: वे उस व्यक्ति को घेर लेंगी और उसकी तरफ से सिफारिश करेंगी, जो इस भयानक दिन में बेहद ज़रूरी सुरक्षा और सहारा होगी।
  • विशेष फ़ज़ीलत: सूरह बक़रह को विशेष तौर पर बरकत और जादू-टोने से हिफाज़त की सूरह बताया गया है।

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