इस्लाम एक पूर्ण जीवन प्रणाली है जो न सिर्फ इबादत बल्कि इंसानों के बीच रिश्तों को मजबूत करने का भी तरीका सिखाती है। कई बार ऐसे छोटे-छोटे अमल होते हैं जो देखने में तो साधारण लगते हैं, लेकिन उनका समाज और आपसी भाईचारे पर गहरा असर पड़ता है। पैगंबर मुहम्मद ﷺ ने ऐसे ही एक अमल को बताया, जिसे अपनाने से दिलों में मोहब्बत पैदा होती है।
सवाल: वो कौनसा काम है जिसके लिए रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: जब तुम उसको करोगे तो आपस में मोहब्बत करने लग जाओगे?
- A. खाना खिलाना
- B. सलाम करना
- C. जमात से नमाज़ पढ़ना
- D. बीमार की एयादत (खबर लेना) करना
सही जवाब है: ऑप्शन C , जमात से नमाज़ पढ़ना
तफ़सील (विवरण):
दलील:
इस महत्वपूर्ण सिख का वर्णन हज़रत अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत एक सहीह हदीस में मिलता है। रसूलअल्लाह ﷺ ने फरमाया:
“क़सम है उस ज़ात की जिसके क़ब्ज़े में मेरी जान है! तुम जन्नत में तब तक दाखिल नहीं हो सकते जब तक ईमान वाले न हो जाओ, और तुम तब तक ईमान वाले नहीं हो सकते जब तक आपस में मोहब्बत न करने लग जाओ। क्या मैं तुम्हें एक ऐसी चीज़ न बताऊँ जो तुम्हें आपस में मोहब्बत करवा दे? तो अपने दरमियान सलाम को फैलाओ।”
📖 सुनन इब्न माजा, जिल्द 1, हदीस 68 (सहीह)
संक्षेप में समझें:
- लक्ष्य: जन्नत पाना, जो पूरे ईमान पर निर्भर है, और पूरा ईमान आपसी मोहब्बत पर टिका है।
- समस्या: बिना मोहब्बत के न तो ईमान पूरा होता है और न ही जन्नत का रास्ता खुलता है।
- हल: इस मोहब्बत को पैदा करने का आसान और प्रभावी तरीका है “सलाम को फैलाना”।
- सलाम क्या करता है: सलाम सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि एक दुआ, प्यार और सम्मान का संदेश है। जब एक मुसलमान दूसरे मुसलमान को सलाम करता है, तो यह उनके दिलों के बीच एक कड़ी बन जाता है, दूरियाँ घटती हैं और भाईचारा मजबूत होता है।



