इस्लाम में माँ-बाप का दर्जा बहुत ऊँचा है। जहाँ माँ के क़दमों के नीचे जन्नत बताई गई है, वहीं एक हदीस में “बाप” को जन्नत के बीच का दरवाज़ा कहा गया है। आइए जानते हैं कि इस हदीस में रसूलअल्लाह ﷺ ने क्या फ़रमाया।
सवाल: इनमें से जन्नत के बीच का दरवाज़ा किसे कहा गया है?
- A. माँ
- B. बाप
- C. बड़ा भाई
- D. अल्लाह के वली
सही जवाब है: ऑप्शन B , बाप
तफ़सील (विवरण):
📜 दलील (हदीस):
हदीस: अबू अब्दुर रहमान अस-सुलमी रिवायत करते हैं अबू दरदा (रज़ि०) से कि उन्होंने कहा, रसूलअल्लाह ﷺ ने फ़रमाया —
“वालिद (बाप) जन्नत का दरमियाना (बीच का) दरवाज़ा है, इसलिए तेरी मर्ज़ी है कि उसे ज़ाया कर या महफ़ूज़ रख।”
📕 जामिउ तिर्मिज़ी, जिल्द 1, हदीस 1959 (हसन)
एक दूसरी हदीस में अब्दुल्लाह इब्न उमर (रज़ि०) रिवायत करते हैं कि रसूलअल्लाह ﷺ ने फ़रमाया —
“अल्लाह तआला की रज़ा वालिद (या वालिदैन) की रज़ा में है, और अल्लाह का ग़ज़ब (नाराज़गी) वालिद (या वालिदैन) की नाराज़गी में है।”
📕 जामिउ तिर्मिज़ी, जिल्द 1, हदीस 1960 (हसन)
🌿 सीख :
- इस्लाम में बाप की इज़्ज़त और फ़रमाँबरदारी जन्नत का रास्ता है।
- जो अपने बाप की इज़्ज़त और ख़िदमत करता है, अल्लाह उसके लिए जन्नत का दरवाज़ा आसान कर देता है।
- और जो बाप को दुख देता है, वो अपने ही हाथों से उस दरवाज़े को बंद कर देता है।
🌸 नसीहत:
अगर तुम्हारे वालिद ज़िंदा हैं — तो उनकी ख़ुशी में अपनी जन्नत तलाश करो।
उनकी सेवा, दुआ और रज़ामंदी हासिल करना ऐसा अमल है, जो तुम्हें सीधे जन्नत के दरमियाने दरवाज़े तक पहुँचा सकता है।



