क़ुरआन करीम में कुछ अनोखी हस्तियों का ज़िक्र है जिन पर अल्लाह तआला ने दुनिया और आख़िरत दोनों में सलाम और रहमत का ऐलान किया।
क्या आप जानते हैं वो कौन से नबी थे जिनके लिए अल्लाह ने ये फरमाया — “जिस दिन वो पैदा हुए, जिस दिन वफ़ात पाएंगे और जिस दिन ज़िंदा करके उठाए जाएंगे, उन पर सलाम और रहमत है”?
सवाल: अल्लाह सुब्हानहु ने किसके लिए ये फरमाया कि — “जिस दिन वो पैदा हुए, जिस दिन वफ़ात पाएंगे और जिस दिन ज़िंदा करके उठाए जाएंगे, उन पर सलाम और रहमत है?”
- A. ज़करिया अलैहिस्सलाम
- B. इब्राहीम अलैहिस्सलाम
- C. यहया अलैहिस्सलाम
- D. इदरीस अलैहिस्सलाम
सही जवाब है: ऑप्शन C , यहया अलैहिस्सलाम
तफ़सील (विवरण):
📖 दलील (क़ुरआन की आयत)
सूरह मरयम (19:12-15) में अल्लाह तआला ने फरमाया:
“ऐ यहया! हमारी किताब को मज़बूती से थाम लो,
और हमने उन्हें बचपन में ही हिकमत (दानााई) अता की,
और अपनी रहमत से उन्हें नर्मी, पाकीज़गी और परहेज़गारी दी।
वो अपने मां-बाप के साथ नेक व्यवहार करने वाले थे,
और न सख्त मिज़ाज थे न नाफ़रमान।
जिस दिन वो पैदा हुए, जिस दिन वो वफ़ात पाएंगे, और जिस दिन ज़िंदा करके उठाए जाएंगे — उन पर सलाम और रहमत है।”
📕 सूरह मरयम, आयत 12–15
🌷 सीख
- यहया अलैहिस्सलाम बचपन से ही पाक, नेक और फरमांबरदार थे।
- अल्लाह ने उन्हें दुनिया की तीन अहम घड़ियों (पैदाइश, मौत और दोबारा उठाए जाने) में सलामती की खुशखबरी दी।
- ये आयत इंसान को याद दिलाती है कि अल्लाह की रहमत नेक और सच्चे दिलों पर हमेशा रहती है।



