मेरा’ज की उस मुबारक रात का ज़िक्र जब रहमतुल लिल आलमीन ﷺ को आसमानों की सैर कराई गई, कुरान करीम में बड़े प्यार से किया गया है। उस मुक़ाम पर जहां हर चीज़ की हद खत्म होती है — यानी सिदरतुल मुन्तहा, वहाँ एक जन्नत का भी ज़िक्र आता है जिसे जन्नत अल-मावा कहा गया है।
सवाल: सिदरतुल मुन्तहा के क़रीब कौन सी जन्नत है?
- A. जन्नत अल-अदन
- B. जन्नत अल-मावा
- C. जन्नत अल-फिरदौस
- D. जन्नत अल-नईम
सही जवाब है: ऑप्शन B , जन्नत अल-मावा
तफ़सील (विवरण):
📖 दलील
۞ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम ۞
क़ुरान:
“और उन्होंने (रसूलुल्लाह ﷺ ने) उनको एक और दफ़ा देखा, सिदरतुल मुन्तहा के पास,
जिसके क़रीब जन्नत अल-मावा है।”
📖 सूरह अन-नज्म (53): आयत 13–15
🌺 तफ़सीर और सीख
- सिदरतुल मुन्तहा वो मुक़ाम है जहाँ फ़रिश्ते भी आगे नहीं जा सकते।
- जन्नत अल-मावा एक ऐसी जन्नत है जहाँ शहीद, सच्चे मोमिन और अल्लाह के नेक बंदे ठहराए जाएंगे।
- यह आयत नबी ﷺ के मेरा’ज के सफ़र की हकीकत और अल्लाह की क़ुदरत की गहराई को बयान करती है।



