जहन्नुम में सबसे ज़्यादा कौन जाएंगे?

कयामत और आखिरत का दिन हर इंसान के लिए एक बड़ा इम्तिहान होगा। पैगंबर मुहम्मद ﷺ ने अपनी उम्मत को बार-बार इस दिन के लिए तैयार रहने की नसीहत की है। आपने कई हदीसों में जन्नत की नेमतों का वर्णन किया है तो जहन्नुम के अज़ाब से भी डराया है। एक हदीस में आपने एक ऐसी बात बताई है जो सुनकर हर इंसान को अपने अमल पर गौर करने की ज़रूरत महसूस होती है।

सवाल: जहन्नुम में सबसे ज़्यादा कौन जाएंगे?

  • A. मर्द
  • B. औरतें
  • C. जिन्नात
  • D. चरिंद-परिंद

सही जवाब है: ऑप्शन B , औरतें

तफ़सील (विवरण):

दलील:

इस गंभीर चेतावनी का स्पष्ट वर्णन हज़रत इमरान बिन हुसैन (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत एक हदीस में मिलता है। रसूलअल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“ऐ औरतों की जमात! सदक़ा किया करो और कसरत से इस्तिगफ़ार किया करो। मैंने जहन्नुम में तुम्हारी तादाद सबसे ज़्यादा देखी है।”
एक समझदार औरत ने अर्ज़ किया: “या रसूलअल्लाह (ﷺ)! इसकी क्या वजह है कि जहन्नुम में हमारी तादाद ज़्यादा है?”
आप ﷺ ने फरमाया: “तुम लानत-तान (गाली-गलौज और बुरा बोलना) ज़्यादा करती हो और रफ़ीक-ए-हयात (पति) की नाशुक्री करती हो।”
📖 सुनन इब्न माजा, हदीस 4003

संक्षेप में समझें:

  • चेतावनी: हदीस सीधे तौर पर औरतों को संबोधित करती है और उन्हें चेतावनी देती है कि उनकी संख्या जहन्नुम में अधिक देखी गई है।
  • कारण: पैगंबर ﷺ ने दो मुख्य कारण बताए:
    1. लानत-तान ज़्यादा करना: यानी बुरा बोलना, गाली-गलौज करना, लड़ाई-झगड़े में बद्दुआ देना आदि। यह ज़बान के गुनाह हैं।
    2. पति की नाशुक्री करना: यानी पति के एहसान और उसकी मेहनत को न मानना, उसकी हर छोटी-बड़ी बात पर शिकायत और असंतोष जताना। यह शुक्र की कमी और अहसान फरामोशी का गुनाह है।
  • मकसद: यह हदीस किसी को नीचा दिखाने के लिए नहीं, बल्कि एक सख्त चेतावनी और सुधार का मौका देने के लिए है। इसका मकसद औरतों को इन आम कमजोरियों से बचने के लिए प्रेरित करना और उन्हें सदक़ा और इस्तिगफ़ार जैसे नेक अमल अपनाने की तरफ मार्गदर्शन करना है।

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