ईद उल-फ़ित्र सिर्फ़ खुशी का दिन नहीं, बल्कि इंसानियत और हिकमत का भी दिन है। इस दिन मुसलमानों पर एक अहम ज़िम्मेदारी होती है — सदक़ा-ए-फ़ित्र अदा करना, जो समाज में बराबरी और रहमत का पैग़ाम देता है।
सवाल: सदक़ा-ए-फ़ित्र कब अदा किया जाए?
- A. ईद की नमाज़ से पहले
- B. ईद की नमाज़ के बाद
- C. ईद के दूसरे दिन
- D. सही जवाब का इंतज़ार
सही जवाब है: ऑप्शन A , ईद की नमाज़ से पहले
तफ़सील (विवरण):
दलील
۞ इब्न अब्बास (रज़ि.) से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जिसने नमाज़-ए-ईद से पहले सदक़ा-ए-फ़ित्र अदा किया, उसका सदक़ा मक़बूल हुआ, और जिसने नमाज़ के बाद अदा किया तो वह आम सदक़ों में से एक सदक़ा है।”
📕 सुनन इब्न माजा 1827 — हसन
हिकमत:
सदक़ा-ए-फ़ित्र का मक़सद यह है कि ग़रीब और ज़रूरतमंद भी ईद की खुशी में शामिल हो सकें। इसलिए इसे ईद की नमाज़ से पहले अदा करना अफ़ज़ल है, ताकि सब मिलकर अल्लाह की नेमतों का शुक्र अदा करें।
