शब-ए-क़द्र को क़ुरआन में किस से बेहतर कहा गया है?

शब-ए-क़द्र (लैलतुल क़द्र) इस्लाम की सबसे मुबारक रातों में से एक है। यह वह रात है जिसमें क़ुरआन-ए-करीम का नुज़ूल हुआ और जिसमें बंदे की दुआएँ क़ुबूल होती हैं। अल्लाह तआला ने इस रात की फ़ज़ीलत को इतनी ऊँची मक़ामात दी कि इसे हज़ार महीनों से बेहतर बताया गया है।

सवाल: शब-ए-क़द्र को क़ुरआन में किस से बेहतर कहा गया है?

  • A. 1000 महीने
  • B. 1000 साल
  • C. 1000 दिन
  • D. 1000 हफ़्ते

सही जवाब है: ऑप्शन A , 1000 महीने

तफ़सील (विवरण):

दलील

۞ अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त क़ुरआन-ए-करीम में फ़रमाता है:
“और आपको क्या मालूम कि शब-ए-क़द्र क्या है? शब-ए-क़द्र हज़ार महीनों से बेहतर है। इस में फ़रिश्ते और रूहुल अमीन (जिब्रील अलैहिस्सलाम) अपने रब के हुक्म से हर काम पर उतरते हैं। यह रात सुबह के उजाले तक सलामती है।”
📕 अल-क़ुरआन; सूरह अल-क़द्र (97)

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