किस रात जिब्रील अलैहिस्सलाम और फ़रिश्ते अल्लाह के हुक्म से ज़मीन पर उतरते हैं?

रमज़ानुल मुबारक का महीना बरकतों और रहमतों से भरा होता है, लेकिन इसकी एक रात ऐसी है जो सारी रातों की सरदार है — शब-ए-क़द्र। यह वह मुबारक रात है जिसमें पहली बार क़ुरआन-ए-करीम नाज़िल हुआ और जिसमें जिब्रील (अलैहिस्सलाम) और तमाम फ़रिश्ते अल्लाह के हुक्म से ज़मीन पर उतरते हैं। इस रात की इबादत का सवाब हज़ार महीनों से बेहतर बताया गया है। इसलिए इसे पहचानना और इसकी रात को जागकर इबादत में गुज़ारना एक मोमिन के लिए सबसे बड़ी नेमत है।

सवाल: किस रात जिब्रील अलैहिस्सलाम और फ़रिश्ते अल्लाह के हुक्म से ज़मीन पर उतरते हैं?

  • A. शब-ए-क़द्र
  • B. शब-ए-बरात
  • C. शब-ए-बरात
  • D. सही जवाब का इंतज़ार

सही जवाब है: ऑप्शन A , शब-ए-क़द्र

तफ़सील (विवरण):

दलील

अल्लाह तआला क़ुरआन-ए-मजीद में फ़रमाता है:

“और आपको क्या मालूम कि शब-ए-क़द्र क्या है? शब-ए-क़द्र हज़ार महीनों से बेहतर है। इसमें फ़रिश्ते और रूह-उल-अमीन (जिब्रील अलैहिस्सलाम) उतरते हैं अपने रब के हुक्म से हर काम के लिए। यह रात सुबह के उजाले तक सलामती ही सलामती है।”

📕 अल-क़ुरआन — सूरह अल-क़द्र (97:1-5)हिकमत

शब-ए-क़द्र वह मुबारक रात है जिसमें अल्लाह तआला ने क़ुरआन नाज़िल किया। इस रात में रहमत, बरकत और मग़फिरत की बारिश होती है, और फ़रिश्ते जिब्रील (अलैहिस्सलाम) के साथ अल्लाह के हुक्म से ज़मीन पर उतरते हैं। जो इस रात को इबादत में गुज़ारता है, उसके गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं।

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