कुरआन न सिर्फ हमारे लिए हिदायत है, बल्कि यह हर तरह के बुरे प्रभाव और नुकसान से हमारी हिफाज़त का ज़रिया भी है। पैगंबर मुहम्मद ﷺ ने कुछ सूरहों को विशेष फज़ीलत के साथ बताया है। इनमें से एक सूरह ऐसी है जिसके बारे में आप ﷺ ने स्पष्ट तौर पर फरमाया कि इसके पढ़ने वाले का जादूगर मुकाबला नहीं कर सकता। आइए जानते हैं उस ताकतवर सूरह के बारे में।
सवाल: वो कौनसी सूरह है जिसके लिए रसूलअल्लाह ﷺ ने फरमाया कि जादूगर उस (सूरह को पढ़ने वाले) का मुकाबला नहीं कर सकता?
- A. सूरह यासीन
- B. सूरह अल-मुल्क
- C. सूरह अल-बक़रह
- D. सूरह अन-नास
सही जवाब है: ऑप्शन C , सूरह अल-बक़रह
तफ़सील (विवरण):
दलील:
इस विशेष फ़ज़ीलत का स्पष्ट वर्णन हज़रत अबू उमामा बहली (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत एक सहीह हदीस में मिलता है। रसूलअल्लाह ﷺ ने फरमाया:
“सूरह बक़रह को पढ़ा करो, क्योंकि इसका पढ़ना बरकत है और इसका छोड़ देना हसरत है और जादूगर लोग इसका मुकाबला नहीं कर सकते।”
📖 सहीह मुस्लिम, जिल्द 2, हदीस 1874
संक्षेप में समझें:
- सूरह: सूरह अल-बक़रह, जो कुरआन की सबसे लंबी सूरह है और इसमें आयतुल कुर्सी जैसी महान आयत भी शामिल है।
- फायदे: इस हदीस में सूरह बक़रह के तीन बड़े फायदे बताए गए हैं:
- बरकत (आशीर्वाद): इसकी तिलावत या घर में रखने से जीवन में ख़ैर और बरकत आती है।
- पछतावा: इसे न पढ़ना या इससे दूर रहना एक बड़े नुकसान और पछतावे की बात है।
- हिफाज़त (सबसे बड़ा फायदा): जादू-टोना (सिह्र) करने वाले जादूगर इस सूरह के पाठक का मुकाबला नहीं कर सकते। यानी यह सूरह जादू के बुरे प्रभाव से एक मजबूत ढाल का काम करती है।
- सीख: यह हदीस हमें प्रेरित करती है कि हम सूरह बक़रह की नियमित तिलावत को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएँ, खासकर सुबह-शाम। इससे न सिर्फ हमारी आध्यात्मिक ताकत बढ़ेगी, बल्कि हम शैतानी और जादुई हमलों से भी सुरक्षित रहेंगे।



