इस्लाम में हया यानी शर्म और लज्जा एक बहुत बड़ा गुण माना गया है। यह ईमान का एक अंग है। लेकिन क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि कोई इंसान इतना लजीला और पवित्र हो कि उससे खुद फरिश्ते भी शर्म करें? इस्लाम के इतिहास में ऐसे ही एक महान सहाबी हुए हैं, जिनके बारे में खुद पैगंबर मुहम्मद ﷺ ने यह बात कही थी।
सवाल: वो कौन से सहाबी हैं जिनसे फरिश्ते भी हया करते हैं?
- A. अबू बकर (राज़ी)
- B. उमर (राज़ी)
- C. उस्मान (राज़ी)
- D. अली (राज़ी)
सही जवाब है: ऑप्शन C , उस्मान (राज़ी)
तफ़सील (विवरण):
दलील:
इस बात की पुष्टि एक सहीह हदीस से होती है, जिसे उम्मुल मोमिनीन हज़रत आयशा (राज़ी) ने बयान किया है।
हदीस का विवरण:
एक बार रसूलअल्लाह ﷺ अपने घर में आराम फरमा रहे थे और आपकी रान या पिंडली खुली हुई थी। उसी समय:
- हज़रत अबू बकर (राज़ी) ने अंदर आने की इजाज़त मांगी। आप ﷺ ने इजाज़त दे दी और उसी हालat में (बिना कपड़ा ठीक किए) उनसे बातचीत करते रहे।
- हज़रत उमर (राज़ी) ने इजाज़त मांगी, आप ﷺ ने उन्हें भी इजाज़त दे दी और उसी तरह बातचीत जारी रखी।
- हज़रत उस्मान (राज़ी) ने इजाज़त मांगी। जैसे ही उनके आने की सूचना मिली, रसूलअल्लाह ﷺ तुरंत बैठ गए और अपने कपड़े ठीक किए (अपनी पोशाक संभाली)।
हज़रत उस्मान (राज़ी) के जाने के बाद हज़रत आयशा (राज़ी) ने पूछा, “जब अबू बकर और उमर आए तो आपने कुछ ख़्याल नहीं किया, लेकिन उस्मान के आते ही आप बैठ गए और कपड़े ठीक किए?” इस पर रसूलअल्लाह ﷺ ने फरमाया:
“क्या मैं उस शख्स से शर्म न करूं, जिससे फरिश्ते भी शर्म (हया) करते हैं?”
📖 सहीह मुस्लिम, जिल्द 6, हदीस 6209

