काबा शरीफ इस्लाम की सबसे मुक़द्दस जगह है — जहां हर मुसलमान का दिल सजदे में झुकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि काबा शरीफ के दरवाज़े की चाबी किस सहाबी के पास हुआ करती थी? आइए जानते हैं वो ख़ास नाम जिनके हवाले से यह इज़्ज़त और अमानत कायम रही।
सवाल: इनमें से कौन-से सहाबी के पास काबा शरीफ के दरवाज़े की कुंजी रहती थी?
- A. तल्हा बिन उस्मान (रज़ि.अ)
- B. उस्मान बिन अफ़्फ़ान (रज़ि.अ)
- C. उसामा बिन ज़ैद (रज़ि.अ)
- D. उस्मान बिन तल्हा (रज़ि.अ)
सही जवाब है: ऑप्शन D , उस्मान बिन तल्हा (रज़ि.अ)
तफ़सील (विवरण):
📖 दलील (हदीस):
✦ अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ि.अ) से रिवायत है कि:
रसूलुल्लाह ﷺ फ़तह मक्का के दिन अपनी सवारी पर मक्का में दाख़िल हुए। उस वक़्त उसामा बिन ज़ैद (रज़ि.अ) आपकी सवारी पर पीछे सवार थे। आपके साथ बिलाल (रज़ि.अ) और काबा के हाजिब यानी जिसके पास काबा शरीफ की चाबी रहती थी — उस्मान बिन तल्हा (रज़ि.अ) भी थे।
रसूलुल्लाह ﷺ ने अपनी ऊँटनी को मस्जिद के करीब बिठाया और बैतुल्लाह की चाबी लाने का हुक्म दिया।
फिर आप ﷺ काबा शरीफ के अंदर दाख़िल हुए और आपके साथ उसामा बिन ज़ैद, बिलाल, और उस्मान बिन तल्हा (रज़ि.अ) भी थे।
आप ﷺ अंदर कुछ देर तक ठहरे, फिर जब बाहर तशरीफ़ लाए तो लोग जल्दी से आगे बढ़े।
अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ि.अ) भी उन लोगों में से थे जो सबसे पहले अंदर गए।
उन्होंने हज़रत बिलाल (रज़ि.अ) को दरवाज़े के पीछे खड़ा देखा और पूछा — “क्या रसूलुल्लाह ﷺ ने यहां नमाज़ पढ़ी थी?”
उन्होंने वही जगह बताई जहां आपने ﷺ नमाज़ अदा की थी।
📕 सहीह बुखारी, जिल्द 5, हदीस 4289
🌙 सीख:
- काबा शरीफ की चाबी की ज़िम्मेदारी एक अमानत और इज़्ज़त है, जो हज़रत उस्मान बिन तल्हा (रज़ि.अ) को दी गई थी।
- अल्लाह तआला ने इस अमानत को उनके खानदान में क़यामत तक बरक़रार रखने का वादा किया।
- यह वाक़िआ हमें सिखाता है कि अमानतदारी और भरोसे का दर्जा इस्लाम में बहुत ऊँचा है।



