प्यारे नबी (ﷺ) के बाद इस्लाम के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक क़ुरान को हिफाज़त के साथ एक किताब की शक्ल में जमा करना था। कई जंगों में हाफ़िज़ों की शहादत के बाद यह काम बहुत ज़रूरी हो गया था। क्या आप जानते हैं ये अज़ीम काम किस सहाबी के खिलाफत में किया था?
सवाल: प्यारे नबी ﷺ के बाद कुरआन को किताब की शक्ल में एक जगह किसने जमा किया?
- A. अबू बक्र अस-सिद्दीक़ (र.अ.)
- B. उमर इब्न अल-ख़त्ताब (र.अ.)
- C. उस्मान इब्न अफ़्फ़ान (र.अ.)
- D. अली इब्न अबी तालिब (र.अ.)
सही जवाब है: ऑप्शन A , अबू बक्र अस-सिद्दीक़ (र.अ.)
तफ़सील (विवरण):
सही जवाब है, हज़रत अबू बक्र अस-सिद्दीक़ (र.अ.)। अल्लाह के रसूल (ﷺ) के बाद, हज़रत उमर इब्न अल-ख़त्ताब (र.अ.) ने यह महसूस किया कि जंगों में बहुत से हाफ़िज़-ए-क़ुरान शहीद हो चुके हैं। उन्होंने हज़रत अबू बक्र सिद्दीक (र.अ.) से क़ुरान को एक किताब की शक्ल में जमा करने की गुज़ारिश की।
इस अहम ज़रूरत को समझते हुए हज़रत अबू बक्र (र.अ.) ने हज़रत ज़ैद इब्न साबित (र.अ.) को यह काम सौंपा। इस कोशिश से क़ुरान के नुस्खे़ को हमेशा के लिए महफ़ूज़ कर लिया गया। सहीह बुखारी, 4986