इनमें से वो कौन लोग हैं जिनको बेशुमार अज्र दिया जाएगा, जिसका जिक्र सूरह ज़ुमर में है?

इंसानी जिंदगी में मुश्किलें और परेशानियाँ आती रहती हैं। ऐसे में इंसान का इम्तिहान होता है कि वह कैसे व्यवहार करता है। इस्लाम में हर मुसीबत और आजमाइश का सामना करने का सबसे बेहतरीन तरीका ‘सब्र’ बताया गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सब्र करने वालों के लिए अल्लाह ने कुरआन में कितना बड़ा और खास इनाम बताया है? यह इनाम इतना बड़ा है कि उसे गिना नहीं जा सकता।

सवाल: इनमें से वो कौन लोग हैं जिनको बेशुमार अज्र दिया जाएगा, जिसका जिक्र सूरह ज़ुमर में है?

  • A. नफिल नमाज़ पढ़ने वाले
  • B. खामोश रहने वाले
  • C. मुसाफ़ा करने वाले (गले मिलने वाले)
  • D. सब्र करने वाले

सही जवाब है: ऑप्शन D , सब्र करने वाले

तफ़सील (विवरण):

दलील:

इस महान इनाम का स्पष्ट वर्णन अल्लाह तआला ने खुद पवित्र कुरआन की सूरह अज़-ज़ुमर की आयत नंबर 10 में फरमाया है:

“सब्र करने वालों ही को उनका पूरा-पूरा बेशुमार अज्र दिया जाता है।”
📖 सूरह अज़-ज़ुमर (39:10)

संक्षेप में समझें:

  • विशेषता: सब्र (धैर्य)। यह वह गुण है जो इंसान को मुश्किल हालात में भी ईमान और हिम्मत से काम लेने की ताकत देता है।
  • वादा: अल्लाह का सीधा वादा है कि जो लोग उसकी राह में, उसकी मार्फत आई हुई मुसीबतों पर सब्र करेंगे, उन्हें उनका पूरा-पूरा इनाम मिलेगा।
  • इनाम की प्रकृति: इनाम है “बेशुमार”। यानी ऐसा इनाम जिसे गिना नहीं जा सकता, जिसकी कोई सीमा नहीं है। यह शब्द ही बताता है कि सब्र का इनाम इंसानी गणना और कल्पना से परे है।
  • सब्र किस पर करें: सब्र हर उस मुसीबत, तकलीफ, नुकसान या इल्म न होने की स्थिति पर किया जाता है, जो अल्लाह के हुक्म से आती है। इसमें बीमारी, मौत, नुकसान, लोगों की बुराई आदि सब शामिल हैं।
  • सीख: यह आयत हमें यह सिखाती है कि जिंदगी की कोई भी मुसीबत बेकार नहीं जाती। अगर हम उस पर सब्र के साथ अल्लाह से जुड़े रहें, तो वह मुसीबत हमारे लिए अनंत इनामों का जरिया बन जाती है।

Leave a Comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *