नमाज़ की सफ़ों में अगर जगह (गैप) रह जाए, तो क्या नुक़सान होता है?

अक्सर हम मस्जिद में नमाज़ पढ़ते समय देखते हैं कि सफ़ों के बीच थोड़ा-बहुत गैप रह जाता है। यह छोटी-सी बात दिखने में मामूली लगती है, लेकिन हदीस में इसके बहुत गंभीर नुक़सान बताए गए हैं। आइए जानते हैं कि नमाज़ की सफ़ में खला छोड़ना आखिर कितना बड़ा मसला है।

सवाल: नमाज़ की सफ़ों में अगर जगह (गैप) रह जाए, तो क्या नुक़सान होता है?

  • A. उम्मत में इख़्तिलाफ़ हो जाता है
  • B. शैतान सफ़ों के बीच दाखिल होता है
  • C. अल्लाह से रिश्ता टूट जाता है
  • D. A ,B, और C

सही जवाब है: ऑप्शन D , A ,B, और C

तफ़सील (विवरण):

दलील (हदीस से प्रमाण)

۞ बिस्मिल्लाह–हिर्र्रहमान–निर्रहीम ۞

हदीस:

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

सफ़ों को बराबर करो, कंधे से कंधा मिलाओ, सफ़ों के बीच के ख़लाओं (gaps) को बंद करो, अपने भाइयों के लिए नर्मी दिखाओ, और शैतान के लिए जगह मत छोड़ो।
जो व्यक्ति सफ़ को जोड़ेगा, अल्लाह उससे रिश्ता जोड़ेगा,
और जो व्यक्ति सफ़ को तोड़ेगा, अल्लाह उससे अपना रिश्ता तोड़ देगा।

📕 सुनेन अबू दाऊद, हदीस 666

एक और रिवायत में आता है:

सफ़ों को ठीक से बनाया करो और अपने बीच इख़्तिलाफ़ मत होने दो, वरना तुम्हारे दिलों में भी इख़्तिलाफ़ पैदा हो जाएगा।

📕 सहीह मुस्लिम, हदीस 432


नसीहत (क़ीमती सीख)

अगर हम चाहते हैं:

  • कि अल्लाह हमसे अपना रिश्ता न तोड़े,
  • शैतान हमारे बीच जगह न पाए,
  • उम्मत इख़्तिलाफ़ से बचे,

तो हमें चाहिए कि:

👉 नमाज़ की सफ़ें बिल्कुल सीधी बनाएं
👉 कंधे से कंधा और पैर से पैर मिलाएँ
👉 गैप न छोड़ें
👉 एक-दूसरे से झिझक महसूस न करें

क्योंकि अल्लाह की नज़र में हम सब बराबर हैं।
हम सब एक ही आदम (अ.) की औलाद हैं।
सबसे अफ़ज़ल वही है जो तक़वा रखता हो और नेक अमल करता हो।


दुआ

अल्लाह तआला हमें सुनने–समझने से ज्यादा अमल की तौफ़ीक़ दे।
आमीन, अल्लाहुम्मा आमीन।

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