क़ुरान करीम में दो फरिश्तों — हरूत और मारूत — का ज़िक्र आता है।
इन दोनों का ज़िक्र उस वक्त के लोगों के संदर्भ में किया गया है जो जादू (सहर) की तरफ़ झुक गए थे और सच्चे ईमान से दूर होते जा रहे थे।
सवाल: क़ुरान के हिसाब से हरूत और मारूत क्या हैं?
- A. जन्नत के दर्जे
- B. बाबेल का शहर
- C. जिन्न
- D. फरिश्ते
सही जवाब है: ऑप्शन D , फरिश्ते
तफ़सील (विवरण):
📖 दलील (प्रमाण):
۞ बिस्मिल्लाह-हिर-रहमान-निर-रहीम ۞
क़ुरान:
“और उन्होंने उस चीज़ की पैरवी की जो शैतान, सुलैमान (अलैहिस्सलाम) की बादशाहत के दौर में पढ़ते थे।
सुलैमान (अलैहिस्सलाम) ने कुफ्र नहीं किया, लेकिन शैतानों ने कुफ्र किया — लोगों को जादू सिखाते थे — और उस चीज़ की भी जो शहर-ए-बाबेल में हरूत और मारूत दो फरिश्तों पर उतारी गई थी।”
📖 सूरह अल-बक़रह (2), आयत 102
🌸 सबक (सीख)
- हरूत और मारूत अल्लाह के दो फरिश्ते थे जिन्हें इम्तेहान के तौर पर भेजा गया।
- उन्होंने लोगों को सिखाया कि जादू एक आज़माइश (परीक्षा) है — ताकि लोग इससे बचें, न कि इसे अपनाएं।
- ये आयत हमें यह सिखाती है कि शैतानी इल्म या जादू सीखना हराम है और ईमान को नुक़सान पहुँचाता है।



