क़ुरआन करीम में हज़रत मूसा (अलैहि सलाम) का वाक़िआ एक बहुत बड़ा सबक है। अल्लाह तआला ने उन्हें सीधे “वादि-ए-तुवा” नामक मुक़द्दस जगह पर बुलाया और एक अहम हुक्म दिया — फ़िरऔन के पास जाकर उसे सच की दावत देने का। आइए इस वाक़िए को क़ुरआन की रौशनी में समझते हैं।
सवाल: अल्लाह सुब्हानहु ने मूसा (अलैहि सलाम) को कौन-सी जगह बुलाकर हुक्म दिया कि “फ़िरऔन के पास जाओ, वो ज़ुल्म में हद से आगे निकल गया है”?
- A. वादी-ए-तूर
- B. वादी-ए-तुवा
- C. वादी-ए-जुडी
- D. वादी-ए-जिन्न
सही जवाब है: ऑप्शन B , वादी-ए-तुवा
तफ़सील (विवरण):
📖 दलील
۞ बिस्मिल्लाह-हिर-रहमान-निर-रहीम ۞
अल-कुरआन:
“क्या आपको मूसा (अलैहि सलाम) का हाल मालूम हुआ जब उनके रब ने उन्हें मुक़द्दस वादी-ए-तुवा में पुकारा और कहा कि ‘फ़िरऔन के पास जाओ, वह ज़ुल्म और गुनाह में हद से आगे निकल गया है।’”
📕 सूरह अन-नाज़िआत (79), आयत 15-16
🌸 सीख
- अल्लाह तआला अपने चुने हुए नबियों को सच्चाई और इंसाफ़ के पैग़ाम के लिए भेजता है।
- मूसा (अलैहि सलाम) को ताक़तवर ज़ालिम फ़िरऔन के सामने भेजना इस बात की निशानी है कि हक़ हमेशा ग़ालिब रहता है।
- “वादि-ए-तुवा” आज भी रूहानी एहमियत रखती है — वही जगह है जहाँ से एक नबी को मिशन-ए-हक़ की ड्यूटी मिली।



