जन्नत के अद्भुत मंज़र बयान करने वाली हदीसों में से एक हदीस यह भी है — जिसमें रसूलअल्लाह ﷺ ने एक ऐसे घर का ज़िक्र किया जिसे देखकर उन्होंने रुकने का फैसला किया, क्योंकि उस घर के मालिक की ग़ैरत (हया और आदरभाव) का खयाल आया। आइए जानते हैं वो शख्स कौन थे।
सवाल: रसूलअल्लाह ﷺ ने किसके लिए फरमाया:“मैं जन्नत में उनका घर देखा, अंदर जाना चाहा मगर उनकी ग़ैरत का खयाल आया (इसलिए नहीं गया)”?
- A. अबू बक्र (रज़ि.)
- B. उमर (रज़ि.)
- C. उस्मान (रज़ि.)
- D. अली (रज़ि.)
सही जवाब है: ऑप्शन B , उमर (रज़ि.)
तफ़सील (विवरण):
📖 दलील
۞ बिस्मिल्लाह-हिर-रहमान-निर-रहीम ۞
हदीस:
जाबिर (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है —
नबी ﷺ ने फरमाया:
“मैं जन्नत में गया और एक घर/महल देखा। मैंने पूछा: यह किसका है?
फ़रिश्तों ने कहा: ‘उमर बिन ख़त्ताब (रज़ि.) का।’
मैं अंदर जाना चाहता था, लेकिन तुम्हारी ग़ैरत (हया) याद आई।”
यह सुनकर उमर (रज़ि.) रो पड़े और अर्ज़ की:
“या रसूलअल्लाह ﷺ! क्या मैं आप पर ग़ैरत करूँगा?”
📖 सहीह मुस्लिम, जिल्द 6, हदीस 6198
🌸 सीख
- यह हदीस उमर (रज़ि.) की ईमानदारी, हया और अल्लाह की मोहब्बत की निशानी है।
- रसूलअल्लाह ﷺ ने जन्नत के उन मंज़रों को अपनी आँखों से देखा जिनकी तसवीर इंसान सोच भी नहीं सकता।
- इस हदीस से यह भी पता चलता है कि ग़ैरत (मर्यादा और इज्जत की हिफ़ाज़त) एक मोमिन की खूबी है।



