क्या आप जानते हैं कि रसूलअल्लाह ﷺ के कई मुबारक नाम हैं और हर नाम के पीछे एक गहरी हिकमत (बुद्धि) छुपी है? इन्हीं में से एक नाम है “अल-माही” — यानी वह जिसके ज़रिए अल्लाह तआला ने कुफ्र (अविश्वास) को मिटा दिया। आइए जानते हैं इस नाम का मतलब और उसकी दलील हदीस की रोशनी में।
सवाल: इनमें से कौन-सा नाम रासूलअल्लाह ﷺ का है?
- A. अल-बारी
- B. अल-माही
- C. अर-रक़ीब
- D. अल-मुमीत
सही जवाब है: ऑप्शन B , अल-माही
तफ़सील (विवरण):
📖 दलील
۞ बिस्मिल्लाह-हिर-रहमान-निर-रहीम ۞
हदीस:
जुबैर बिन मुतइम (रज़ि.) से रिवायत है कि रसूलअल्लाह ﷺ ने फरमाया:
“मैं मुहम्मद हूं, और मैं अहमद हूं, और मैं अल-माही हूं — यानी मेरी वजह से अल्लाह तआला कुफ्र को मिटाएगा।
मैं हाशिर हूं — जिसके कदमों पर लोग (क़ियामत के दिन) इकट्ठे किए जाएंगे।
और मैं आक़िब हूं — यानी मेरे बाद कोई नबी नहीं।”
📖 सहीह मुस्लिम, जिल्द 6, हदीस 6105
🌸 सबक (सीख)
- रसूलअल्लाह ﷺ का हर नाम उनकी किसी खास सिफ़त (गुण) की तरफ इशारा करता है।
- अल-माही इस बात का प्रतीक है कि नबी ﷺ के ज़रिए शिर्क और कुफ्र का अंधकार मिटा और इस्लाम की रौशनी फैली।
- हमें चाहिए कि हम नबी ﷺ के इन मुबारक नामों को याद रखें और उनके मायनों को अपनी ज़िंदगी में अपनाएं।



