इस्लाम में शराब
इस्लाम में शराब को सख़्ती से हराम किया गया है, क्योंकि यह न केवल इंसान की अकल को ढक लेती है बल्कि हर बुराई और गुनाह की जड़ बन जाती है। आइए जानते हैं कि नबी-ए-पाक ﷺ ने इसे किस तरह बयान किया।
सवाल: रसूल-अल्लाह ﷺ ने किसे “مِفْتَاحُ كُلِّ شَرٍّ” यानी हर बुराई की कुंजी (चाबी) कहा है?
- A. शिर्क
- B. शराब
- C. बिदअत
- D. ज़िना
सही जवाब है: ऑप्शन B , शराब
तफ़सील (विवरण):
📖 दलील
۞ बिस्मिल्लाह-हिर-रहमान-निर-रहीम ۞
हदीस:
रसूल-अल्लाह ﷺ ने फरमाया:
“शराब मत पीना, क्योंकि शराब हर बुराई की कुंजी (चाबी) है।”
📕 सुनन इब्न माजा, जिल्द 3, हदीस 915 – हसन
🌸 सबक (सीख)
एक मोमिन को चाहिए कि वह हर उस चीज़ से दूर रहे जो अल्लाह और उसके रसूल ﷺ ने मना की है।
शराब इंसान की अक्ल और इमान को कमज़ोर करती है।
ये गुनाहों का दरवाज़ा खोल देती है — झूठ, फसाद, ज़िना और जुल्म तक।



