अल्लाह सुब्हानहु ने क़ुरान करीम में “तलाउ़न नदीद” लफ़्ज़ किसके लिए इस्तेमाल किया है?

क़ुरान-ए-करीम में अल्लाह तआला ने अपनी कुदरत की कई निशानियाँ बयान की हैं — आसमान से बारिश, ज़मीन से उगती फ़सलें और खजूर के दरख्त उनमें से कुछ हैं। इन्हीं निशानियों में एक लफ़्ज़ आता है — “तलाउ़न नदीद” (طَلْعٍ نَضِيدٍ)। आइए जानते हैं कि इसका मतलब क्या है और यह किसके लिए इस्तेमाल हुआ है।

सवाल: अल्लाह सुब्हानहु ने क़ुरान करीम में “तलाउ़न नदीद” लफ़्ज़ किसके लिए इस्तेमाल किया है?

  • A. फ़रिश्तों के लिए
  • B. दोज़ख के लिए
  • C. खजूर के दरख़्त के लिए
  • D. क़यामत के लिए

सही जवाब है: ऑप्शन C , खजूर के दरख़्त के लिए

तफ़सील (विवरण):

📖 दलील (क़ुरान से):

“और हमने आसमान से बरकत वाला पानी नाज़िल किया, फिर हमने उसके ज़रिए से बाग़ उगाए और अनाज जिनके खेत काटे जाते हैं,
और लंबे-लंबे खजूर के दरख़्त जिनके खोशे (फल) तह-ब-तह होते हैं।”
📕 सूरह क़ाफ़ (50), आयत 9-10


💬 तफ़सीर (अर्थ और व्याख्या):

तलाउ़न नदीद (طَلْعٍ نَضِيدٍ)” का अर्थ है — खजूर के वो गुच्छे जो एक के ऊपर एक सजे हुए होते हैं।
अल्लाह तआला ने इन खजूरों को अपनी कुदरत की निशानी बताया है।
बारिश से ज़मीन ज़िंदा होती है, और खजूर के पेड़ उस ज़मीन की बरकत को ज़ाहिर करते हैं — यही अल्लाह की शक्ति और रहमत का बयान है।


🌸 सीख:

  • अल्लाह की हर नेमत में उसकी कुदरत झलकती है।
  • खजूर का पेड़ बरकत, रिज़्क़ और सेहत — तीनों का प्रतीक है।
  • क़ुरान हमें सिखाता है कि हम हर नेमत पर शुकर अदा करें और अल्लाह की बनाई दुनिया पर ग़ौर करें।

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