वो क्या है जिसे कुछ लोग इस तरह ठीक करेंगे जैसे तीर को दुरुस्त किया जाता है, क्योंकि वो उसकी जज़ा (इनाम) दुनिया में ही चाहेंगे?

कुरआन सिर्फ ज़ुबान से पढ़ने की चीज़ नहीं, बल्कि दिल से समझने और अमल करने की किताब है। लेकिन रसूलअल्लाह ﷺ ने ऐसे लोगों के बारे में खबर दी जो कुरआन को सिर्फ दुनियावी मकसद के लिए पढ़ेंगे — और आख़िरत में उनका हिस्सा कुछ न होगा।

सवाल: वो क्या है जिसे कुछ लोग इस तरह ठीक करेंगे जैसे तीर को दुरुस्त किया जाता है, क्योंकि वो उसकी जज़ा (इनाम) दुनिया में ही चाहेंगे?

  • A. नमाज़
  • B. ज़िक्र
  • C. आमाल
  • D. कुरआन

सही जवाब है: ऑप्शन D , कुरआन

तफ़सील (विवरण):

📜 दलील (हदीस):

हदीस:
हज़रत जाबिर (रज़ि अल्लाहु अन्हु) बयान करते हैं —

रसूलअल्लाह (ﷺ) हमारे पास तशरीफ लाए जबकि हम क़ुरआन पढ़ रहे थे। हम में अरबी और अजमी (गैर-अरबी) दोनों थे।
आप (ﷺ) ने फ़रमाया: “पढ़ो, सब ठीक है, लेकिन जल्द ही ऐसे लोग आएंगे जो उसे (क़ुरआन को) ऐसे दुरुस्त करेंगे जैसे तीर को दुरुस्त किया जाता है। वो उसकी जज़ा (इनाम) दुनिया में ही चाहेंगे और उसे आख़िरत के लिए मुअख्खर नहीं करेंगे।”

📕 मिशकातुल-मसाबीह, हदीस: 2206 — सहीह


🌿 सीख :

क़ुरआन को सीखना, पढ़ना और सिखाना बहुत बड़ा अमल है — लेकिन नीयत (इरादा) सिर्फ़ अल्लाह की रज़ा होनी चाहिए।
अगर कोई इंसान कुरआन पढ़कर शोहरत, पैसा या दुनियावी फायदा चाहता है, तो वो उस अज्र से महरूम रह जाएगा जो आख़िरत के लिए वादा किया गया है।
रसूलअल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:

“अमल का इनाम नीयत पर है।”
📕 सहीह बुखारी 1


🌸 नसीहत:

कुरआन को सिर्फ़ लहजे और आवाज़ की खूबसूरती के लिए नहीं, बल्कि हिदायतअमल, और अल्लाह की रज़ामंदी के लिए पढ़ें।
वो ज़ुबान सबसे खूबसूरत है जो अल्लाह के कलाम को सच्चे दिल से पढ़े और उस पर अमल करे।

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