नमाज़ मुसलमानों की सबसे अहम इबादत है, और इमामत यानी नमाज़ की क़ियादत करना एक बड़ी ज़िम्मेदारी है।
लेकिन सवाल ये है कि लोगों में इमामत का हकदार कौन है? कौन आगे बढ़कर नमाज़ पढ़ाए? इसका जवाब हमें सीधा हदीस से मिलता है।
सवाल: रसूलअल्लाह ﷺ की हदीस के हिसाब से लोगों की इमामत का ज़्यादा हक़दार कौन है?
- A. जो क़ुरआन ज़्यादा जानता हो
- B. जो उम्र में ज़्यादा बड़ा हो
- C. जो सुन्नत ज़्यादा जानता हो
- D. जो कभी नमाज़ क़ज़ा न करता हो
सही जवाब है: ऑप्शन A , जो क़ुरआन ज़्यादा जानता हो
तफ़सील (विवरण):
📜 दलील:
۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞
हदीस:
अबू सईद ख़ुदरी (रज़ि.) से रिवायत है कि रसूलअल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“जब तीन शख्स हों तो उनमें से एक इमाम हो जाए, और इमामत का ज़्यादा हकदार वो है जो क़ुरआन ज़्यादा पढ़ा हो।”
📕 सहीह मुस्लिम, जिल्द 2, हदीस 1529
और एक दूसरी रिवायत अबू मसऊद (रज़ि.) से है:
“लोगों की इमामत वो करे जो क़ुरआन ज़्यादा जानता हो,
अगर क़ुरआन में बराबर हों तो जो सुन्नत ज़्यादा जानता हो,
अगर सुन्नत में बराबर हों तो जिसने पहले हिजरत की हो,
अगर हिजरत में बराबर हों तो जिसने पहले इस्लाम क़बूल किया हो।”
📕 सहीह मुस्लिम, जिल्द 2, हदीस 1532
💡 सीख:
इस हदीस से हमें मालूम होता है कि इमामत का असली हक़दार इल्म वाला इंसान है, ख़ास तौर पर वो जो क़ुरआन को बेहतर तरीके से जानता और समझता हो।
इस्लाम में इल्म की बुनियाद पर क़ियादत को तरजीह दी गई है, न कि सिर्फ उम्र या पद के आधार पर।



