कुरआन सिर्फ़ तिलावत करने की किताब नहीं, बल्कि ज़िंदगी बदल देने वाला कलाम है। इस पर अमल करने से अल्लाह तआला क़ौमों को ऊँचाई देता है, और इसे नज़रअंदाज़ करने से वही क़ौमें ज़िल्लत में गिर जाती हैं। आइए जानें उस हदीस के बारे में जिसमें इस हक़ीक़त को बयान किया गया है।
सवाल: इन में से किसके ज़रिए अल्लाह सुब्हानहु किसी क़ौम को बुलंदी या ज़िल्लत देता है?
- A. नमाज़
- B. रोज़ा
- C. कुरआन
- D. हज
सही जवाब है: ऑप्शन C , कुरआन
तफ़सील (विवरण):
📜 दलील (हदीस):
हज़रत सैयदना उमर बिन खत्ताब (रज़ि अल्लाहु अन्हु) बयान करते हैं कि,
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“अल्लाह तआला इस किताब (यानी कुरआन) के ज़रिए कुछ क़ौमों को रिफ़अत (बुलंदी/ऊँचाई) अता करता है और कुछ को ज़लील कर देता है।”
📕 मुस्नद अहमद, हदीस: 8326 — सहीह
🌿 सीख :
कुरआन एक ऐसी किताब है जो इंसान को इल्म, हिदायत और इज़्ज़त देती है — लेकिन सिर्फ़ तब जब वह इसे समझकर, अमल के साथ अपनाता है।
जो लोग कुरआन से रुख मोड़ लेते हैं, अल्लाह तआला उन्हें दुनिया और आख़िरत दोनों में ज़िल्लत देता है।
📖 अल्लाह तआला कुरआन में फ़रमाता है:
“यह किताब ऐसी है जो सीधे रास्ते की हिदायत देती है।”
📕 सूरह अल-इसरा 17:9
🌸 नसीहत:
अगर हम चाहते हैं कि हमारी ज़िंदगी, समाज और उम्मत फिर से इज़्ज़त और रिफ़अत पाए, तो हमें कुरआन से अपनी डोर मज़बूत करनी होगी — इसे समझना, अमल करना और दूसरों तक पहुंचाना ही असली कामयाबी है।



