जो शख्स रात को तहज्जुद पढ़ने के लिए बेदार नहीं हो सके, तो वो कौन-सा अमल करे?

हर मुसलमान की तमन्ना होती है कि वह रात के सुकून भरे लम्हों में उठकर तहज्जुद की नमाज़ अदा करे, लेकिन बहुत से लोग चाहकर भी बिस्तर से नहीं उठ पाते। ऐसे लोगों के लिए नबी ﷺ ने एक आसान और सुंदर अमल बताया है, जिससे उन्हें भी तहज्जुद का सवाब मिल सकता है।

सवाल: जो शख्स रात को तहज्जुद पढ़ने के लिए बेदार नहीं हो सके, तो वो कौन-सा अमल करे?

  • A. कसरत से अल्लाह का ज़िक्र करे
  • B. दिन में 12 रकअत सुन्नत पढ़े
  • C. वितर के बाद 2 रकअत अदा करे
  • D. कसरत से नफ़िल अदा करे

सही जवाब है: ऑप्शन C , वितर के बाद 2 रकअत अदा करे

तफ़सील (विवरण):

📖 दलील:

हदीस:
हज़रत सौबान (रज़ि अल्लाहु अन्हु) रिवायत करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:

“ये बिदारी (यानि रात को उठकर तहज्जुद पढ़ना) एक मुश्किल और थकाने वाला काम है। जब तुम में से कोई शख्स वितर पढ़ ले तो वो दो रकअत अदा करे। अगर वो रात में जाग गया तो तहज्जुद पढ़ ले, और अगर न जाग सका तो वो दो रकअतें उसके लिए काफ़ी होंगी।”

📕 मिशकात अल-मसाबीह: हदीस 1286 – सहीह


💭 सीख:

इस हदीस से हमें यह मालूम होता है कि अल्लाह अपने बंदों पर रहम करने वाला है। अगर कोई इंसान रात में न उठ सके, लेकिन वितर के बाद 2 रकअतें पढ़ ले, तो उसे भी तहज्जुद की तरह सवाब हासिल होगा। इसलिए कोशिश करें कि हर रात सोने से पहले वितर के बाद ये दो रकअतें ज़रूर अदा करें।

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