जो निकाह की ताक़त नहीं रखता, उसे क्या करना चाहिए?

इस्लाम ने इंसान की फितरत और जरूरतों का पूरा खयाल रखा है। शादी (निकाह) इंसानी ज़िंदगी का अहम हिस्सा है — ये नफ़्स की हिफाज़त, समाज की पाकीज़गी और इंसाफ़ की राह है।
लेकिन अगर कोई शख्स निकाह की ताक़त या सहूलियत नहीं रखता, तो अल्लाह और उसके रसूल ﷺ ने उसके लिए एक आसान और मुक़द्दस हल बताया है।

सवाल: जो निकाह की ताक़त नहीं रखता, उसे क्या करना चाहिए?

  • A. तहज्जुद पढ़े
  • B. रोज़े रखे
  • C. ज़कात दे
  • D. ग़ैर-महरम से बात न करे

सही जवाब है: ऑप्शन B , रोज़े रखे

तफ़सील (विवरण):

📖 दलील (प्रमाण):

۞ बिस्मिल्लाह-हिर-रहमान-निर-रहीम ۞

हदीस:
अब्दुल्लाह इब्न मसऊद (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:

“ऐ नौजवानों! तुम में जो निकाह की (माली) ताक़त रखता हो, वह निकाह करे,
क्योंकि ये निगाह को झुकाने वाला और शर्मगाह की हिफ़ाज़त करने वाला अमल है।
और जो निकाह की ताक़त नहीं रखता, वह रोज़ा रखे,
क्योंकि रोज़ा उसकी ख़्वाहिशात-ए-नफ़्सानी को तोड़ देता है।”

📖 सहीह बुख़ारी, जि‍ल्द 6, हदीस 5066


🌸 सबक (सीख)

  • इस्लाम इंसान की जवानी और नफ़्स दोनों की हिफाज़त का तरीका सिखाता है।
  • अगर कोई निकाह नहीं कर सकता, तो उसे रोज़े रखने चाहिए, ताकि उसकी नफ़्सानी ख्वाहिशात पर काबू पाया जा सके।
  • रोज़ा सिर्फ भूख-प्यास नहीं रोकता बल्कि दिल और नफ़्स को पाक करता है।

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