अल्लाह तआला अपने बन्दों पर बेहद रहम करने वाला है। वह हर रात आसमान-ए-दुनिया की तरफ नुज़ूल फ़रमाता है और खुद पुकार कर रहमत के दरवाज़े खोल देता है। सोचिए — जब खुद अल्लाह तआला पुकारता है, तो कौन बदक़िस्मत होगा जो जवाब न दे?
सवाल: अल्लाह सुब्हानहु कौन-सी रात आसमान-ए-दुनिया की तरफ नुज़ूल फ़रमाता है और कहता है: “कौन है जो मुझसे दुआ करे कि मैं उसकी दुआ क़बूल करूं?”
- A. सिर्फ़ जुमा की रात को
- B. सिर्फ़ पीर और जुमेरात की रात को
- C. सिर्फ़ शब-ए-क़द्र को
- D. हर रात
सही जवाब है: ऑप्शन D , हर रात
तफ़सील (विवरण):
📖 दलील
۞ बिस्मिल्लाह-हिर-रहमान-निर-रहीम ۞
हदीस:
अबू हुरैरा (रज़ि.) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“हमारा रब हर रात आसमान-ए-दुनिया की तरफ नुज़ूल फ़रमाता है, जब रात का आख़िरी तिहाई हिस्सा बाक़ी रहता है। उस वक़्त अल्लाह फ़रमाता है:
‘कौन है जो मुझसे दुआ करे कि मैं उसकी दुआ क़बूल करूं?
कौन है जो मुझसे मांगे कि मैं उसे दूं?
कौन है जो मुझसे बख़्शिश मांगे कि मैं उसे माफ़ कर दूं?’”
📕 सहीह बुख़ारी, जिल्द 7, हदीस 6321
🌸 सीख
- अल्लाह तआला अपने बन्दों के बहुत क़रीब है।
- रात का आख़िरी हिस्सा (सहर का वक़्त) दुआ और इस्तिग़फ़ार का सबसे मुबारक वक़्त है।
- इस वक़्त में की गई दुआएँ ज़्यादा क़बूल होती हैं, इसलिए मुसलमान को इस समय तहज्जुद और दुआ का एहतमाम करना चाहिए।


