रमज़ान की मुक़द्दस रातों में से एक रात है शब-ए-क़द्र, जिसे कुरआन में “हज़ार महीनों से बेहतर” बताया गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रासूलअल्लाह ﷺ को इसकी असली तारीख बताने का इल्म दिया गया था, जो बाद में उठा लिया गया? आइए जानते हैं, ऐसा क्यों हुआ।
सवाल: अल्लाह ने रसूलअल्लाह (ﷺ) से शब-ए-क़द्र के मालूम होने का इल्म किस वजह से उठा लिया?
- A. ताकि लोग शब-ए-क़द्र को तलाश करें
- B. दो मुसलमानों के आपसी झगड़े की वजह से
- C. रसूलअल्लाह (ﷺ) खुद भूल गए
- D. सही जवाब का इंतज़ार
सही जवाब है: ऑप्शन B , दो मुसलमानों के आपसी झगड़े की वजह से
तफ़सील (विवरण):
📖 दलील:
۞ हदीस: अबादा बिन सामित (रज़ि.) रिवायत करते हैं कि रसूलअल्लाह (ﷺ) हमें शब-ए-क़द्र की खबर देने के लिए तशरीफ़ ला रहे थे कि दो मुसलमान आपस में झगड़ने लगे। इस पर आप ﷺ ने फरमाया:
“मैं आया था कि तुम्हें शब-ए-क़द्र बता दूँ, लेकिन फ़ुलाँ फ़ुलाँ ने आपस में झगड़ा कर लिया, इस वजह से इसका इल्म उठा लिया गया। और उम्मीद है कि यह तुम्हारे हक में बेहतर होगा। अब तुम इसे आख़िरी अशरे की 9वीं, 7वीं या 5वीं रात में तलाश किया करो।”
📕 सहीह बुख़ारी 2023
💭 सीख:
यह हदीस हमें सिखाती है कि झगड़े और दिलों की कड़वाहट बरकतों को खत्म कर देती हैं। दो मुसलमानों के झगड़े की वजह से शब-ए-क़द्र जैसी रहमत भरी रात का इल्म उठा लिया गया। इसलिए मुसलमानों को चाहिए कि वे एक-दूसरे से मोहब्बत रखें, माफ़ करें, और अल्लाह की रहमतों को हासिल करने की कोशिश करें।



