इस्लाम के सुनहरे इतिहास में बहुत सी सहाबियात ((रज़ियल्लाहु अन्हा)) ऐसी गुज़री हैं जिन्होंने रसूल-अल्लाह ﷺ से बेपनाह मोहब्बत की।
उनकी अकीदत (श्रद्धा) और मोहब्बत का एक अनमोल उदाहरण हैं — उम्मे सुलैम (रज़ियल्लाहु अन्हा)।
उन्होंने नबी ﷺ के पसीने मुबारक को बरकत और खुशबू के तौर पर संजो कर रखा। यह वाक़िया न सिर्फ़ मोहब्बत बल्कि ईमान और अदब की गहराई को भी दर्शाता है।
सवाल: वो कौन सी सहाबिया थीं जो रसूल-अल्लाह ﷺ का पसीना मुबारक बरकत के लिए इस्तेमाल करती थीं?
- A. उम्मे हानी (रज़ियल्लाहु अन्हा)
- B. उम्मे अतिय्या (रज़ियल्लाहु अन्हा)
- C. उम्मे सुलैम (रज़ियल्लाहु अन्हा)
- D. उम्मे हबीबा (रज़ियल्लाहु अन्हा)
सही जवाब है: ऑप्शन C , उम्मे सुलैम (रज़ियल्लाहु अन्हा)
तफ़सील (विवरण):
📖 दलील (प्रमाण):
۞ बिस्मिल्लाह-हिर-रहमान-निर-रहीम ۞
हदीस:
अनस बिन मालिक (रज़ियल्लाहु अन्हु) रिवायत करते हैं:
“मेरी वालिदा उम्मे सुलैम (रज़ियल्लाहु अन्हा) नबी ﷺ के लिए चमड़े का एक फरश बिछा देती थीं, और आप ﷺ उस पर दिन में आराम (क़ैल्युल्लाह) फरमाते थे।
जब आप ﷺ सो जाते, तो उम्मे सुलैम (रज़ियल्लाहु अन्हा) आपका पसीना और बाल जमा कर लेतीं और उन्हें एक शीशी में रख लेतीं।
फिर जब अनस (रज़ियल्लाहु अन्हु) की वफ़ात का वक्त आया, तो उन्होंने वसीयत की कि उस ख़ुशबू (जिसमें नबी ﷺ का पसीना था) को उनके कफ़न के लिए इस्तेमाल किया जाए।”
📕 सहीह बुखारी, जिल्द 7, हदीस 6281
🌼 इमान अफ़रोज़ सीख
यह हदीस हमें सिखाती है कि सहाबा और सहाबियात का नबी ﷺ से असीम प्रेम और अकीदा (विश्वास) कैसा था।
उन्होंने नबी ﷺ की हर चीज़ को बरकत का ज़रिया माना — चाहे वह पसीना हो या बाल।
उनका मकसद किसी दुनिया की चीज़ को हासिल करना नहीं था, बल्कि वह चाहते थे कि नबी ﷺ से जुड़ी हर चीज़ उनके लिए रहमत और सवाब का ज़रिया बने।


